Girls will be girls Review: ऋचा चड्ढा-अली फजल की दमदार शुरुआत, टीनेज रोमांस पर सिनेमा का नया अध्याय
Girls will be girls Review: ऋचा चड्ढा और अली फजल की प्रोडक्शन फिल्म 'गर्ल्स विल बी गर्ल्स' में टीनेज रोमांस, मां-बेटी का रिश्ता और बेहतरीन अभिनय का संगम। जानें, क्यों देखनी चाहिए ये फिल्म।
Girls will be girls Review: कहानी: टीनेज रोमांस और मां-बेटी के रिश्ते की अनोखी दास्तान
Girls will be girls Review: फिल्म की कहानी 90 के दशक की है, जहां मोबाइल फोन नहीं होते थे और मिस्ड कॉल रोमांस का ट्रेंड था। मीरा (प्रीति पाणिग्रही) एक स्कूल की हेड प्रीफेक्ट है। स्कूल में विदेश से श्री (केशव बिनॉय) नाम का लड़का पढ़ाई के लिए आता है। मीरा को श्री अच्छा लगने लगता है, लेकिन उसकी मां अनिला (कनी कुश्रुति) चाहती हैं कि वह सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे।
फिल्म में मां-बेटी के रिश्ते को गहराई से दिखाया गया है। श्री और मीरा का रिश्ता क्या मोड़ लेता है? और मां-बेटी के बीच के तनाव कैसे खत्म होते हैं? यही फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाता है।
Girls will be girls Review: फिल्म की खासियत: सिंपल स्टोरी और मजबूत किरदार
1. सिंपल लेकिन दमदार कहानी:
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी सरलता है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसे आप अपने आसपास या अपने जीवन में होते हुए महसूस कर सकते हैं।
2. टीनेज रोमांस का यथार्थ चित्रण:
फिल्म में कुछ बोल्ड सीन हैं, जो टीनेज रोमांस की वास्तविकता को बखूबी दर्शाते हैं।
3. मां-बेटी का अनोखा रिश्ता:
फिल्म यह संदेश देती है कि टीनेज के समय में माता-पिता को बच्चों के दोस्त बनने की जरूरत है।
Girls will be girls Review: अभिनय: सभी कलाकारों ने किया कमाल का काम
- कनी कुश्रुति:
मीरा की मां के रोल में कनी ने बेहतरीन काम किया है। उनका किरदार आपको आपके बचपन और अपनी मां की याद दिला देगा। - प्रीति पाणिग्रही:
मीरा के किरदार में प्रीति ने अपनी पहली ही फिल्म में दमदार छाप छोड़ी है। - केशव बिनॉय:
श्री के किरदार में केशव ने एक टीनेज बॉय की मासूमियत और आत्मविश्वास को बखूबी दिखाया है।
Girls will be girls Review: डायरेक्शन और राइटिंग: शुचि तलाटी की परफेक्ट पिच
फिल्म को शुचि तलाटी ने लिखा और डायरेक्ट किया है। शुचि ने न केवल कहानी को खूबसूरती से लिखा है, बल्कि इसे पर्दे पर बेहद प्रभावशाली तरीके से पेश किया है।
रेटिंग और निष्कर्ष:
रेटिंग: 🌟🌟🌟🌟 (4/5)
‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स‘ एक ऐसी फिल्म है, जो न केवल दिल को छूती है, बल्कि सिनेमा के प्रति आपके नजरिए को भी बदल देती है। ऋचा चड्ढा और अली फजल की यह फिल्म एक प्रेरणा है, जो नए तरह का सिनेमा देखने का मौका देती है।
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