Do Patti Review: डबल रोल की कहानी पर कमजोर संवाद और अभिनय की उलझनें
Do Patti Review: डबल रोल की कहानी पर कमजोर संवाद और अभिनय की उलझनें
Do Patti Review: फिल्म “दो पत्ती” अपने टाइटल से ही दर्शकों को रोमांचित करती है, क्योंकि यह नाम सुनते ही ‘सीता और गीता’ या ‘चालबाज’ जैसी डबल रोल वाली फिल्मों की याद दिलाती है। लेकिन इस फिल्म में कनिका ढिल्लों का यह प्रयास काजोल और कृति सेनन के अभिनय के बावजूद अपनी पकड़ बनाने में असफल रहता है।
Do Patti Review: कहानी का प्रारंभ और आधार
Do Patti Review: फिल्म की कहानी “दो पत्ती” में कृति सेनन ने डबल रोल निभाया है, जहां वे दो जुड़वा बहनों, शैली और सौम्या, की भूमिका में हैं। एक बहन का किरदार तेजतर्रार और चालाक है, जबकि दूसरी की छवि मासूम और कमजोर दिखाई गई है। कृति की एक्टिंग और उनकी संवाद अदायगी में कहीं न कहीं वह ऊर्जा और उत्साह की कमी महसूस होती है जो उनके किरदारों को प्रभावशाली बना सकती थी।
कृति ने फिल्म में “सीता और गीता” और “चालबाज” जैसी फिल्मों के प्रभाव को अपने अभिनय में दर्शाने की कोशिश की है, लेकिन उन्हें अपने किरदारों के लिए पूरी तरह से न्याय करने में मुश्किलें आईं। दोनों जुड़वा बहनों की कहानी सीमित होकर एक घर के मर्द के इर्द-गिर्द घूमती है, जो खुद एक अमीर बिज़नेसमैन है। इस किरदार की पृष्ठभूमि में उच्च वर्ग का कोई आभास नहीं मिलता, जिससे कहानी की सजीवता कमजोर महसूस होती है।
Do Patti Review: काजोल का कमजोर किरदार
काजोल, जो फिल्म में एक पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रही हैं, उनके संवादों में हरियाणवी टोन का प्रयोग किया गया है। लेकिन संवादों में आंतरिक प्रवाह और प्रभाव की कमी है, जिससे काजोल का किरदार प्रभावशाली नहीं बन पाता। फिल्म के संवादों में नयापन न होने के कारण उनके अभिनय का प्रभाव भी कम हो जाता है। साथ ही, काजोल के स्लो मोशन शॉट्स, जो उन्हें एक शातिर पुलिस अफसर के रूप में दिखाने की कोशिश करते हैं, फिल्म के सस्पेंस को मजबूत बनाने में विफल रहते हैं।
Do Patti Review: कृति सेनन की डबल मेहनत पर प्रश्न
कृति सेनन ने शैली और सौम्या जैसे दो विपरीत किरदारों में अभिनय किया है, लेकिन डबल रोल का आकर्षण फिल्म में दिखाई नहीं देता। फिल्म में कई संवाद जैसे “कभी कमरे से चली जाओ, कभी किचन से चली जाओ” जैसे कुछ संवाद हैं, जो उनके किरदार को कमजोर बनाते हैं। इन संवादों के कारण उनके किरदार का प्रभाव खत्म होता है और दर्शकों को किसी गहरी भावना का अनुभव नहीं हो पाता।
Do Patti Review: निर्देशन की कमजोरी
फिल्म का निर्देशन शशांक चतुर्वेदी ने किया है, जो अपनी पहली फिल्म में प्रमुख कलाकारों और लेखिका के प्रभाव में रहे। फिल्म में कई सीन जैसे “एनिमल” का गाना या “गुलाम” का रोमांस, इसे अलग फिल्म बनाने के बजाय पुराने संदर्भों पर निर्भर करते हैं। फिल्म के कई हिस्से दर्शकों को भ्रमित कर देते हैं और कहानी का विकास रुकता महसूस होता है। निर्देशक का फिल्म के अंतिम एक्ट में सारा नाटकीयता और मोड़ डालने का प्रयास भी प्रभावशाली नहीं बनता।
निष्कर्ष
“दो पत्ती” की कमजोर पटकथा और किरदारों की अधूरी संरचना फिल्म को गहराई से जोड़ने में विफल होती है। काजोल और कृति सेनन के अभिनय में ऊर्जा की कमी, कमजोर संवाद और निर्देशन में धार की कमी ने फिल्म को कमजोर बना दिया है। कृति का डबल रोल और काजोल का पुलिस ऑफिसर का किरदार किसी मजबूत किरदार के रूप में नहीं उभर पाते हैं।
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