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Delhi’s Nepali Pashupatinath temple: दिल्ली का नेपाली स्वरूप वाला पशुपतिनाथ मंदिर बना आस्था का प्रमुख केंद्र

Delhi’s Nepali Pashupatinath temple: दिल्ली का नेपाली स्वरूप वाला पशुपतिनाथ मंदिर बना आस्था का प्रमुख केंद्र

रिपोर्ट: रवि डालमिया

राजधानी दिल्ली के शाहदरा क्षेत्र के विश्वास नगर में स्थित कड़कड़ी रोड पर बना श्री पशुपतिनाथ मंदिर, जिसे नेपाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, आज न केवल दिल्ली बल्कि आसपास के राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। इस मंदिर की विशेषता इसका वास्तुशिल्प है, जो नेपाल के काठमांडू स्थित विश्वप्रसिद्ध श्री पशुपतिनाथ मंदिर से प्रेरित है। इसका निर्माण वर्ष 1953 में हुआ था और तब से लेकर अब तक यह मंदिर सतत पूजा-अर्चना, धार्मिक अनुष्ठानों और शिव भक्तों की आस्था का प्रतीक बना हुआ है।

मंदिर के मुख्य पुजारी विश्वेश्वर कोइराला बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के समय से ही यहां नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा होती आ रही है। खासकर श्रावण मास में मंदिर में विशेष श्रद्धा और भक्ति का माहौल रहता है। हर सोमवार को हजारों श्रद्धालु यहां जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। भक्त अपने घरों से गंगाजल लाते हैं या फिर हरिद्वार से कांवड़ यात्रा कर विशेष रूप से जल लेकर आते हैं। मंदिर में शिवलिंग का पंचामृत स्नान किया जाता है, जिसमें दूध, दही, घी, शक्कर और शहद का उपयोग होता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस स्नान से भगवान भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

श्रावण मास के दौरान मंदिर में भव्य भंडारे, रुद्राभिषेक और अन्य विशेष अनुष्ठान आयोजित होते हैं। मंदिर की धार्मिक गतिविधियां समाज को एकजुट करने का भी कार्य करती हैं। यहां आने वाले कई श्रद्धालु मानते हैं कि उन्होंने यहां आकर जो भी मन्नत मांगी, वह पूरी हुई। श्रद्धालुओं के अनुसार, यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक जीवंत परंपरा और सेवा का स्थल भी है। मंदिर में आने वाले कई लोग बचपन से ही इससे जुड़े रहे हैं और रोज सुबह स्नान कर शिवलिंग पर जल चढ़ाना अपनी दिनचर्या का हिस्सा मानते हैं।

कोरोना काल में भी भक्तों की श्रद्धा कम नहीं हुई। एक श्रद्धालु ने बताया कि महामारी के कठिन दौर में भी वह प्रतिदिन मंदिर आकर भगवान शिव की आराधना करते थे। उनका कहना है कि यह दिल्ली का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो नेपाल के श्री पशुपतिनाथ मंदिर की छवि को यथावत प्रस्तुत करता है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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