Delhi: LBS अस्पताल में भूकंप जैसी आपदा से निपटने की मॉक ड्रिल, दिल्ली को आपात हालात के लिए तैयार करने की बड़ी पहल

Delhi: LBS अस्पताल में भूकंप जैसी आपदा से निपटने की मॉक ड्रिल, दिल्ली को आपात हालात के लिए तैयार करने की बड़ी पहल
रिपोर्ट: रवि डालमिया
पूर्वी दिल्ली स्थित लाल बहादुर शास्त्री (स्पताल में आज एक महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य था यह परखना कि राजधानी किसी भी बड़ी आपदा—विशेष रूप से भूकंप जैसी स्थिति—से निपटने के लिए कितनी तैयार है। इस अभ्यास में दिल्ली की तमाम आपातकालीन एजेंसियों और प्रशासनिक इकाइयों ने मिलकर हिस्सा लिया और आपसी समन्वय का जीवंत प्रदर्शन किया। ड्रिल की शुरुआत एक काल्पनिक परिदृश्य से हुई जिसमें यह दिखाया गया कि अचानक एक इमारत गिर जाती है और दर्जनों लोग मलबे में दब जाते हैं। इस संकट के फौरन बाद राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए), दिल्ली पुलिस, फायर ब्रिगेड, सिविल डिफेंस, स्वास्थ्य विभाग और एलबीएस अस्पताल की मेडिकल टीमों ने पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से अंजाम दिया।
अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सों ने आपात सेवा के तहत घायलों का प्राथमिक इलाज शुरू किया, जबकि फायर ब्रिगेड की टीम ने मलबे में फंसे लोगों को निकालने का अभियान चलाया। वहीं पुलिस ने पूरे इलाके को नियंत्रित करते हुए भीड़ को दूर रखा और राहत कार्यों में बाधा न आने दी। इस मॉक ड्रिल के दौरान विभागीय तालमेल, कम्युनिकेशन, संसाधनों की उपलब्धता और रेस्पॉन्स टाइम की भी परख की गई। अधिकारियों ने हर विभाग की भूमिका का मूल्यांकन किया और यह देखा कि किस स्थिति में कौन सी इकाई किस तरह से प्रतिक्रिया देती है। यह पूरी प्रक्रिया वास्तविक आपदा की स्थिति को ध्यान में रखकर संचालित की गई, जिससे कर्मियों को व्यावहारिक अनुभव भी मिला।
कार्यक्रम के अंत में सभी भाग लेने वाली टीमों ने एक संयुक्त समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने ड्रिल के अनुभवों को साझा किया और भविष्य में और अधिक प्रभावी होने के लिए आवश्यक सुधार बिंदुओं पर चर्चा की। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस तरह की मॉक ड्रिल्स को समय-समय पर आयोजित किया जाता रहेगा ताकि किसी भी आपात स्थिति में दिल्ली प्रशासन पूरी तत्परता के साथ कार्य कर सके। यह अभ्यास केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं था, बल्कि यह राजधानी के आपदा प्रबंधन तंत्र की एक महत्वपूर्ण परीक्षा और तैयारी का हिस्सा था। इसका मकसद न केवल संस्थानों को सजग करना था, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना था कि अगर कल को कोई असली संकट आए, तो दिल्ली उसे संभालने में सक्षम हो।