दिल्ली उच्च न्यायालय ने आशा किरण आश्रय गृह में 14 मौतों के बाद जल गुणवत्ता परीक्षण का आदेश दिया
अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड को तत्काल जल गुणवत्ता परीक्षण और सीवर पाइपलाइनों की स्थिति की जांच करने का निर्देश दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली जल बोर्ड को रोहिणी में आशा किरण आश्रय गृह में जल गुणवत्ता का आकलन करने और सीवर पाइपलाइनों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जुलाई में 14 निवासियों की मृत्यु के बाद आया है, जिससे आश्रय गृह में रहने की स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण चिंताएँ पैदा हुई हैं।
उच्च मृत्यु दर पर न्यायालय की चिंता
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने मौतों की उच्च संख्या पर चिंता व्यक्त की, इस बात पर जोर देते हुए कि इतने कम समय में 14 मौतों को महज संयोग नहीं माना जा सकता। न्यायाधीशों ने आश्रय गृह में जल गुणवत्ता और समग्र रहने की स्थिति सहित संभावित कारणों की जांच करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
जल गुणवत्ता और सीवर पाइपलाइन निरीक्षण के लिए निर्देश
अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड को तत्काल जल गुणवत्ता परीक्षण और सीवर पाइपलाइनों की स्थिति की जांच करने का निर्देश दिया है। दिल्ली सरकार के समाज कल्याण सचिव को आशा किरण कॉम्प्लेक्स का दौरा करने और रहने की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है।
कोर्ट ने आश्रय गृह में भीड़भाड़ होने पर उसे कम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। अधिकारियों से बेहतर रहने की स्थिति सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त रहने वालों को अन्य उपयुक्त सुविधाओं में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया है।
इस मामले की पृष्ठभूमि
रिपोर्ट बताती है कि फरवरी से आश्रय गृह में 25 निवासियों की मौत हो चुकी है, जिसमें से 14 मौतें अकेले जुलाई में हुई हैं। मौतों की भयावह संख्या ने इन मौतों में योगदान देने वाले कारकों की गहन जांच को प्रेरित किया है। प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि तपेदिक निवासियों के बीच मृत्यु का एक सामान्य कारण था।