दिल्ली

Delhi Congress: कांग्रेस ने की 90 हजार अंत्योदय राशन कार्ड और 14.64 लाख लोगों के लंबित पड़े राशन मामले की जांच की मांग

कांग्रेस ने की 90 हजार अंत्योदय राशन कार्ड और 14.64 लाख लोगों के लंबित पड़े राशन मामले की जांच की मांग

रिपोर्ट: हेमंत कुमार

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय, राजीव भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पूर्व मंत्री हारुन यूसुफ ने दिल्ली में राशन वितरण को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा 90 हजार अंत्योदय राशन कार्ड जारी न किए जाने की जांच उपराज्यपाल को करनी चाहिए। साथ ही दोषी नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए। हारुन यूसुफ ने आरोप लगाया कि दिल्ली में राशन वितरण के नाम पर पूरी तरह से ढोंग हो रहा है और सरकार गरीबों का निवाला छीन रही है। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि पिछले 10 वर्षों में 14.64 लाख लाभार्थियों के राशन कार्ड लंबित क्यों पड़े हैं, जबकि हर साल 4-5 लाख की जनसंख्या में वृद्धि होती है।

हारुन यूसुफ ने बताया कि कांग्रेस की यूपीए सरकार ने 2012-13 में फूड सिक्योरिटी एक्ट लाकर 72 लाख लोगों को राशन कार्ड देने की व्यवस्था की थी। इसके तहत गरीबों को 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 3 रुपये प्रति किलो चावल सुनिश्चित किया गया था। साथ ही अन्नश्री योजना के अंतर्गत बीपीएल और अंत्योदय गरीबों को 600 रुपये प्रति सदस्य और 4800 रुपये प्रति परिवार देने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद गरीबों को मिलने वाले राशन में कटौती की गई और मुफ्त राशन का वादा कर उनके साथ धोखा किया गया।

उन्होंने दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में न तो एक भी नया राशन कार्ड बना और न ही बच्चों के नाम जोड़े गए, जबकि मरने वालों के नाम भी नहीं हटाए गए। हारुन यूसुफ ने कहा कि 90 हजार अंत्योदय कार्ड, जो कि अत्यंत गरीब, दलितों, पिछड़ों के लिए होते हैं, जारी नहीं किए गए। यह मामला अब उपराज्यपाल के आदेश पर मुख्य सचिव द्वारा जांच के अधीन है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक शर्मा ने भी संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लिया और कहा कि दिल्ली में राशन वितरण प्रणाली में बड़े घोटाले हो रहे हैं। उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाना देने का दावा करती है, लेकिन दिल्ली सरकार गरीबों को राशन नहीं पहुंचा पा रही है। उन्होंने बताया कि 2015 में दिल्ली में 2400 राशन की दुकानें थीं, जो अब घटकर 1900 रह गई हैं। इसके अलावा, 2013 में जहां 34.55 लाख राशन कार्ड थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 17.83 लाख रह गई है।

आलोक शर्मा ने कहा कि जनवरी 2024 में दिल्ली सरकार ने यह निर्देश दिया था कि दिल्ली में राशन लाभार्थियों की संख्या के आंकड़े तैयार किए जाएं, लेकिन साल खत्म होने के बावजूद इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। उन्होंने यूपीए सरकार के फूड सिक्योरिटी एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि गरीबों को राशन न मिलने की स्थिति में उनके खाते में सीधे राशि जमा करने का प्रावधान है, लेकिन दिल्ली सरकार ने इस आदेश को लागू नहीं किया। हारुन यूसुफ और आलोक शर्मा दोनों ने आम आदमी पार्टी पर गरीबों के लिए संवेदनशीलता न दिखाने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी ने केवल जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के लिए काम किया है।

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