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Cancer survivor care: कैंसर सर्वाइवर्स की देखभाल के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की आवश्यकता

Cancer survivor care: कैंसर सर्वाइवर्स की देखभाल के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की आवश्यकता

नई दिल्ली। आधुनिक कैंसर उपचार तकनीक और दवाओं ने कैंसर रोगियों को नया जीवन प्रदान किया है, लेकिन कैंसर को हराने वाले मरीजों की देखभाल अब एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गई है। इसे ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय स्तर पर नीति बनाने की आवश्यकता जताई है ताकि कैंसर सर्वाइवर्स और उनके केयरगिवर्स के लिए विशेषज्ञ परामर्श और फॉलो-अप सुनिश्चित किया जा सके।

यह बातें एम्स दिल्ली के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग, ऑन्को-एनेस्थीसिया विभाग और पैलिएटिव मेडिसिन विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में सामने आईं। ‘हीलिंग बियॉन्ड ट्रीटमेंट: साइको-ऑन्कोलॉजी पर्सपेक्टिव फॉर कैंसर सर्वाइवर्स एंड केयरगिवर्स’ शीर्षक वाली इस कार्यशाला में कैंसर सर्वाइवर्स के मानसिक तनाव, सामाजिक समस्याओं, प्रजनन संबंधी दिक्कतों और आर्थिक चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की गई। साथ ही युवा कैंसर विशेषज्ञों को सर्वाइवर्स के चिकित्सकीय फॉलो-अप पर ध्यान देने और उनकी देखभाल में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया गया।

डॉ. अभिषेक शंकर ने कहा कि कैंसर का असर केवल मरीज तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह उनके परिवार और देखभाल करने वालों पर भी गहरा प्रभाव डालता है। उन्होंने बताया कि देश में ब्रेस्ट, लंग, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, यूरोलॉजिकल, हीमैटोलॉजिकल, गाइनेकोलॉजिकल और हेड-एंड-नेक कैंसर जैसे कई प्रकार मौजूद हैं, जिनकी चुनौतियां अलग-अलग होती हैं। कहीं दर्द और थकावट बड़ी समस्या होती है, तो कहीं आर्थिक बोझ या लंबे समय तक चलने वाला सामाजिक अलगाव। लेकिन मरीज अक्सर इन समस्याओं को साझा करने में हिचकिचाते हैं।

विशेषज्ञ पैनल ने यह भी बताया कि बेहतर कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी डॉक्टरों, नर्सों और काउंसलर्स को मरीजों और उनके परिवारों से जुड़ने में मदद कर सकती है। कार्यशाला में युवा डॉक्टरों की भूमिका पर विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें अनुभवी विशेषज्ञों ने नए ऑन्कोलॉजिस्ट्स के साथ अनुभव साझा किया और बताया कि कैसे वे कैंसर सर्वाइवर्स की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं। डॉ. शंकर ने कहा कि पहले संपर्क में युवा डॉक्टर मरीजों को भली-भांति जानते हैं, जिससे वे इलाज और फॉलो-अप में कोताही पकड़ सकते हैं। साथ ही आर्थिक या अन्य समस्याओं के मामले में मरीज की मदद के लिए एम्स के कल्याण अधिकारी से समन्वय भी किया जा सकता है।

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