दिल्ली

Breast Cancer Screening: यूसीएमएस सेंटर में महिलाओं के लिए मुफ्त ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर जांच अभियान सफल

Breast Cancer Screening: यूसीएमएस सेंटर में महिलाओं के लिए मुफ्त ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर जांच अभियान सफल

नई दिल्ली, महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल के तहत दिलशाद गार्डन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) हेल्थ ट्रेनिंग सेंटर में मंगलवार को कैंसर स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया। इस विशेष शिविर में 30 से 65 वर्ष आयु वर्ग की कुल 70 महिलाओं की मुफ्त जांच की गई। इस जांच में ताहिरपुर, कलंदर कॉलोनी, नंद नगरी और दिलशाद गार्डन सहित आसपास के इलाकों की महिलाएं शामिल हुईं।
यह कार्यक्रम भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (एनआईसीपीआर) के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के मामलों की समय रहते पहचान करना और उन्हें रोकथाम के प्रति जागरूक करना था।

महिलाओं में कैंसर की शुरुआती पहचान पर जोर

जीटीबी अस्पताल की सीएमओ डॉ. अपर्णा कपूर ने बताया कि सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में पाए जाने वाले सबसे आम कैंसर हैं, लेकिन इनका प्रारंभिक चरण में निदान हो जाने पर पूर्ण रूप से इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि समय पर की गई जांच और जागरूकता से इन बीमारियों के कारण होने वाली मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है।
यूसीएमएस के सामुदायिक चिकित्सा विभाग (सीसीएम) और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने मिलकर आईसीएमआर-एनआईसीपीआर की कैंसर स्क्रीनिंग परियोजना के तहत यह अभियान शुरू किया है, जो भविष्य में भी जारी रहेगा।

विशेषज्ञों की मौजूदगी और स्वास्थ्य जागरूकता

इस कार्यक्रम में सीसीएम विभाग के प्रोफेसर एस. के. भसीन, प्रो. प्रगति छाबड़ा, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रो. रचना अग्रवाल, प्रो. बिंदिया गुप्ता और विकास अरोड़ा सहित कई वरिष्ठ विशेषज्ञ मौजूद रहे।
प्रो. भसीन ने कहा कि इस तरह के कैंप न केवल महिलाओं को जांच की सुविधा उपलब्ध कराते हैं बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए शिक्षा, समय पर जांच और सही इलाज ही सबसे कारगर उपाय हैं।

यूसीएमएस और आईसीएमआर-एनआईसीपीआर का यह संयुक्त प्रयास महिलाओं के स्वास्थ्य की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो भविष्य में और भी अधिक संख्या में महिलाओं को लाभान्वित करेगा।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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