नई दिल्ली, 10 अक्तूबर : एम्स दिल्ली के डॉ राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र के मुखिया डॉ जेएस तितियाल ने कहा कि स्कूली बच्चों में मायोपिया की शिकायत बढ़ती जा रही है। इससे जहां बच्चों की दृष्टि कमजोर हो रही है। वहीं, पढ़ाई -लिखाई भी प्रभावित हो रही है। साथ ही उनमें नेत्रहीनता के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
डॉ तितियाल ने कहा, बच्चों के दृष्टि दोष में इजाफा होने के पीछे स्क्रीन प्रमुख कारण बनकर उभर रही है। पहले बच्चे टीवी स्क्रीन पर चिपके रहने रहने के कारण आंखों की रोशनी गंवा रहे थे और अब मोबाइल फोन की स्क्रीन बच्चों की नजर कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा, तकनीक और गैजेट्स की उपलब्धता ने इंसान का जीवन तो आसान बना दिया है लेकिन इनका जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। डॉ तितियाल ने कहा, जिस गति से बच्चों की आंखें कमजोर हो रही है उस गति से आगामी 2050 तक भारत की 50% आबादी मायोपिया से ग्रस्त हो जाएगी। जो गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि मनोरंजन या शैक्षिक गतिविधियों के लिए मोबाइल फोन का जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल करने वाले बच्चों में आंखों से स्पष्ट न दिखाई देने की समस्या ज्यादा पाई जा रही है। इससे बचाव के लिए बच्चों को मोबाइल फोन की जगह डेस्कटॉप या लैपटॉप मुहैया कराने चाहिए ताकि मोबाइल फोन की छोटी स्क्रीन पर नजर गड़ाकर रखने या आंखों पर ज्यादा दबाव डालने के चलते बच्चों की आंखें प्रभावित न हो सकें।
डॉ तितियाल ने कहा, बच्चों की आंखों की सेहत बनाए रखने को लेकर आरपी सेंटर ने गाइडलाइन बनाई है जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की सहभागिता से लागू किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने साल में दो बार बच्चों की आंखों की जांच कराने, आउटडोर एक्टिविटीज में इजाफा करने और सूरज की रोशनी में कुछ समय बिताने के साथ अभिभावकों को बाल स्वास्थ्य के प्रति शिक्षित करने की जरुरत पर जोर दिया।