
अमर सैनी
नोएडा। भारत में मधुमेह के बढ़ते मामलों को रोकना एक चुनौती बन गया है, विशेष रूप से युवाओं में। इसके लिए जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य के प्रति सजगता की जरूरत है। स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली अपनाकर और समय-समय पर जांच कराकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
फेलिक्स हॉस्पिटल की डॉक्टर अंशुमाला सिन्हा ने बताया कि भारत में मधुमेह, जिसे डायबिटीज भी कहा जाता है, तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक, भारत में लगभग 7.7 करोड़ लोग मधुमेह के शिकार हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। अनुमान है कि 2045 तक यह आंकड़ा 13.4 करोड़ तक पहुंच सकता है। इसके अलावा युवा भी अब तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में इंसुलिन का सही उत्पादन नहीं होता या इंसुलिन का इस्तेमाल ठीक से नहीं हो पाता। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो शरीर में शुगर (ग्लूकोज) को नियंत्रित करता है। जब शरीर में इंसुलिन की कमी होती है, तो खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिसे हाइपरग्लाइसीमिया कहते हैं। मधुमेह के दो मुख्य प्रकार हैं। टाइप-1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बहुत कम या नहीं होता। यह अधिकतर बच्चों और युवाओं में पाया जाता है। टाइप-2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है, लेकिन शरीर उसे प्रभावी रूप से उपयोग नहीं कर पाता। यह मुख्य रूप से वयस्कों में देखा जाता है, लेकिन अब युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है। मधुमेह की पहचान के लिए कुछ सामान्य परीक्षण किए जाते हैं, जैसे कि फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट। जिसमें खाली पेट खून में शुगर का स्तर देखा जाता है। हिमोग्लोबिन ए 1 सी टेस्ट। पिछले तीन महीनों के औसत रक्त शुगर स्तर की जांच करता है। ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट शरीर में शुगर के स्तर का मापन किया जाता है। मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए उचित आहार, व्यायाम और दवाओं का सहारा लिया जाता है। कुछ मामलों में इंसुलिन का उपयोग भी किया जाता है। टाइप-1 मधुमेह में इंसुलिन की सुई जरूरी होती है, जबकि टाइप-2 में दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही, नियमित रूप से शुगर स्तर की जांच करना भी जरूरी होता है। युवाओं में मधुमेह के बढ़ते मामले कई कारणों से हो रहे हैं। असंतुलित आहार यानि फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड और शुगर से भरपूर आहार का सेवन युवाओं में बढ़ गया है, जो डायबिटीज का बड़ा कारण बन रहा है। शारीरिक गतिविधि की कमी यानी आधुनिक जीवनशैली में युवाओं का व्यायाम कम हो गया है, जिससे मोटापा बढ़ता है और डायबिटीज का खतरा भी। तनाव और मानसिक समस्याएं यानी पढ़ाई, नौकरी, और पारिवारिक दायित्वों के चलते तनाव बढ़ा है, जो मधुमेह को जन्म दे सकता है। परिवार में इतिहास यानीजिन लोगों के परिवार में मधुमेह की बीमारी होती है, उनमें इसकी संभावना अधिक होती है।