
Good Governance Day: अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर खट्टर ने साझा किए संस्मरण, CM सैनी ने बताया प्रेरणास्रोत
करनाल में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस पूरे सम्मान और भावनात्मक माहौल के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी समेत बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और नागरिक मौजूद रहे। इस अवसर पर अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व, विचारों और राष्ट्र के लिए उनके योगदान को याद किया गया।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अटल जी से जुड़े कई पुराने और प्रेरक किस्से साझा किए। उन्होंने बताया कि एक बार राजस्थान में एक जनसभा के दौरान मंच संचालक ने अटल बिहारी वाजपेयी का स्वागत एक विशाल माला से करने की घोषणा की थी। यह सुनते ही अटल जी मंच पर खड़े हो गए और जोर देकर बोले कि उन्हें माला नहीं, बल्कि विजय चाहिए। खट्टर ने कहा कि यह वाक्य अटल जी के राजनीतिक संकल्प, आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति उनकी स्पष्ट सोच को दर्शाता है।
खट्टर ने आपातकाल के दौर को याद करते हुए बताया कि रामलीला मैदान में अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक संबोधन था। उस समय की तत्कालीन सरकार ने लोगों को भाषण से दूर रखने के लिए दूरदर्शन पर बॉबी फिल्म का प्रसारण करवाया था, लेकिन इसके बावजूद हजारों लोग अटल जी को सुनने पहुंचे। उनकी ओजस्वी वाणी और विचारों की शक्ति ऐसी थी कि जनता हर हाल में उन्हें सुनना चाहती थी। अटल बिहारी वाजपेयी केवल नेता नहीं, बल्कि जनमानस की आवाज थे।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी हिस्सा लिया और अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि करनाल में अटल जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया है। इसके साथ ही उनके जीवन पर आधारित एक कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया गया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणा के विभिन्न गांवों में 250 से अधिक अटल पुस्तकालयों का उद्घाटन किया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और ज्ञान को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी उन विरले नेताओं में से थे जिनका कद सत्ता से कहीं बड़ा था और जिनके विचार किसी एक दल की सीमाओं में बंधे नहीं थे। वे एक ऐसे कुशल वक्ता थे जिनकी भाषा में कटुता नहीं, बल्कि तर्क, संवेदना और आत्मविश्वास झलकता था। संसद हो या जनसभा, उनकी वाणी विरोधियों को भी ध्यान से सुनने के लिए मजबूर कर देती थी। वे जानते थे कि शब्द केवल राजनीतिक हथियार नहीं होते, बल्कि समाज को जोड़ने वाले सेतु भी बन सकते हैं। सुशासन दिवस के अवसर पर हरियाणा में अटल जी के इन्हीं आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प दोहराया गया।
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