Anupriya Patel: भारत स्वास्थ्य अनुसंधान में वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा : अनुप्रिया पटेल

Anupriya Patel: भारत स्वास्थ्य अनुसंधान में वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा : अनुप्रिया पटेल
नई दिल्ली, 13 नवम्बर — केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के स्वास्थ्य अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन आया है। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में भारत ने चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे देश एक “वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान शक्ति” के रूप में उभर रहा है। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि मेडटेक मित्र जैसी सरकारी पहलें और रोटावैक व कोविड-19 वैक्सीन जैसे भारत में विकसित नवाचार, दुनिया को यह दिखा चुके हैं कि भारत अब केवल अनुसंधान का उपभोक्ता नहीं, बल्कि समाधान देने वाला अग्रणी देश बन चुका है। वे द्वितीय डीएचआर-आईसीएमआर स्वास्थ्य अनुसंधान उत्कृष्टता शिखर सम्मेलन 2025 में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि भारत मेडटेक और बायोमेडिकल नवाचार के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।
आज भारत न केवल नए शोध कर रहा है, बल्कि बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संबंधी समाधान प्रदान करने की क्षमता भी दिखा रहा है। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि “साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण” केंद्र सरकार का प्रमुख मार्गदर्शक सिद्धांत है, जिससे हर नागरिक को किफायती, प्रभावी और समान स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली आज एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां अनुसंधान, तकनीक और नीति के तालमेल से जनस्वास्थ्य में क्रांतिकारी बदलाव संभव हुआ है। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि भारत में वर्तमान में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा लगभग 60 वर्ष है, जिसे 75 वर्ष तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह लक्ष्य विकसित भारत विजन के दस प्रमुख स्तंभों में से एक है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में गैर-संचारी रोग (एनसीडी), उच्च रक्तचाप, और आघात देखभाल जैसे क्षेत्रों में केंद्रित शोध की आवश्यकता है।
डॉ. पॉल ने सुझाव दिया कि भारत को विश्व की सबसे बड़ी बाह्य अनुसंधान प्रणाली विकसित करने, ज्ञान, उत्पादों और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनने, और राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ मज़बूत तालमेल स्थापित करने की दिशा में तेजी से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई, रोबोटिक्स और डिजिटल हेल्थ जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के प्रयोग से भारत स्वस्थ जीवन प्रत्याशा को 75 वर्ष तक ले जाने में सफल होगा। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य अनुसंधान केवल चिकित्सीय क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रहा है। भारत आज अपनी वैज्ञानिक क्षमता, नवाचार और नीति के मेल से एक सशक्त, समावेशी और भविष्य-उन्मुख स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण की दिशा में अग्रसर है।





