AIIMS Delhi: डब्ल्यूएचओ ने एम्स दिल्ली में शुरू किया महामारी शोध केंद्र, दक्षिण एशिया के लिए बड़ा कदम

AIIMS Delhi: डब्ल्यूएचओ ने एम्स दिल्ली में शुरू किया महामारी शोध केंद्र, दक्षिण एशिया के लिए बड़ा कदम
नई दिल्ली, 13 नवम्बर — विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अपने पांचवें ‘यूनिटी शोध स्थल’ (Unity Research Site) का औपचारिक उद्घाटन किया। इस शोध केंद्र का उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र में महामारी या संक्रामक रोगों के प्रकोप की स्थिति में तेज़ और समन्वित अनुसंधान सुनिश्चित करना है, ताकि जन स्वास्थ्य पर मंडराने वाले खतरों की समय रहते पहचान की जा सके और रोकथाम के उपाय प्रभावी ढंग से लागू किए जा सकें। इस पहल से एम्स न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए महामारी प्रबंधन में प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेगा। इस मौके पर भारत में डब्ल्यूएचओ की प्रतिनिधि डॉ. रॉड्रिका पेडेन, भारतीय महामारी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. उमेश कपिल, एम्स के डीन डॉ. के. के. वर्मा, सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजय राय और डॉ. पुनीत मिश्रा सहित कई वरिष्ठ विशेषज्ञ मौजूद रहे। डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण-पूर्व एशिया के 11 देशों में केवल पांच स्थानों को ‘यूनिटी रिसर्च साइट’ के रूप में चुना है, जिनमें एम्स दिल्ली को भारत से प्रतिनिधित्व का दायित्व सौंपा गया है। यह कदम महामारी के दौरान वैश्विक सहयोग, डेटा संग्रह, और त्वरित अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग को इस शोध केंद्र का नेतृत्व सौंपा गया है। विभाग के विशेषज्ञ अब महामारी की संभावनाओं की निगरानी, संक्रमण स्रोत की पहचान, और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने का कार्य करेंगे। एम्स में स्थापित यह केंद्र डब्ल्यूएचओ के साथ एक साझा नेटवर्क में काम करेगा, जो किसी भी नए या पुनः उभरते रोगाणु की स्थिति में तुरंत अध्ययन और रिपोर्ट साझा करने में सक्षम होगा। डॉ. संजय राय ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने यह सिखाया कि वैश्विक जन स्वास्थ्य प्रणालियों को अधिक तैयार और साक्ष्य-आधारित ढांचे की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि “यूनिटी प्रोटोकॉल” महामारी से निपटने के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जो अनुसंधान को अधिक तेज़ और संगठित बनाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की पहलों से भविष्य में होने वाली महामारियों से निपटने की तैयारी को नई दिशा मिलेगी। वहीं, डॉ. पुनीत मिश्रा ने कहा कि एम्स का चयन डब्ल्यूएचओ द्वारा इस बात का प्रमाण है कि भारत ने जन स्वास्थ्य, चिकित्सा अनुसंधान और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि यह केंद्र गैर-महामारी काल में भी सक्रिय रहेगा और स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने में निरंतर कार्य करता रहेगा।
क्या है यूनिटी शोध?
‘यूनिटी शोध’ विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विकसित एक मानकीकृत अनुसंधान प्रणाली है, जिसका उपयोग भविष्य में किसी भी श्वसन संबंधी महामारी की स्थिति में किया जा सकता है। इसका लक्ष्य महामारी विज्ञान और जैविक नमूनों के संग्रह में एकरूपता लाना है, ताकि डेटा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से साझा किया जा सके। इससे साक्ष्य-आधारित जन स्वास्थ्य नीतियां बनाने और महामारी के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलेगी।
एम्स में यूनिटी शोध केंद्र की स्थापना भारत की वैज्ञानिक क्षमता और डब्ल्यूएचओ के प्रति विश्वास का प्रतीक है। यह न केवल महामारी से निपटने की तैयारी को सशक्त करेगा, बल्कि दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य अनुसंधान और आपात प्रतिक्रिया प्रणाली को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
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