Mathura: मथुरा कॉरिडोर के विरोध में सेवायतों का उग्र प्रदर्शन, बांके बिहारी मंदिर बना आंदोलन का केंद्र

Mathura: मथुरा कॉरिडोर के विरोध में सेवायतों का उग्र प्रदर्शन, बांके बिहारी मंदिर बना आंदोलन का केंद्र
मथुरा में प्रस्तावित श्रीकृष्ण जन्मभूमि कॉरिडोर को लेकर विरोध की लहर तेज हो गई है। बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों ने कॉरिडोर परियोजना के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए लगातार प्रदर्शन शुरू कर दिया है। सेवायतों का आरोप है कि सरकार कॉरिडोर के नाम पर उनके पारंपरिक अधिकारों को छीनने की साजिश कर रही है और एक ट्रस्ट का गठन कर मंदिर की व्यवस्था अपने हाथ में लेना चाहती है।
सेवायतों का कहना है कि यह परियोजना धार्मिक भावनाओं और परंपराओं के खिलाफ है। उनका यह भी कहना है कि मथुरा-वृंदावन की जिन ऐतिहासिक कुंज गलियों से श्रीकृष्ण लीला जुड़ी हुई है, उन्हें तोड़ने नहीं दिया जाएगा। सेवायतों ने दो टूक कहा कि यह सिर्फ मंदिर परिसर की बात नहीं, बल्कि हजारों साल पुरानी आस्था, संस्कृति और स्थानीय धार्मिक अधिकारों की रक्षा का मामला है।
प्रदर्शन में अब नंद बाबा मंदिर और बरसाना स्थित राधा रानी मंदिर के सेवायत भी समर्थन में आ गए हैं। इससे विरोध को और अधिक बल मिला है। सेवायतों ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थिति में वे अपनी परंपरा से जुड़े अधिकारों को किसी ट्रस्ट या सरकारी तंत्र के हवाले नहीं करेंगे।
सेवायतों की मांग है कि कॉरिडोर के नाम पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य या स्थानीय धार्मिक ताने-बाने में हस्तक्षेप न किया जाए। उनका दावा है कि इस विकास परियोजना की आड़ में न केवल परंपरागत सेवायतों के अधिकार छीनने की तैयारी है, बल्कि क्षेत्र की मूल धार्मिक संरचना को भी बदला जा रहा है।
विरोध को देखते हुए प्रशासन सतर्क हो गया है। जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से प्रदर्शन स्थलों पर नजर रखी जा रही है। हालांकि, अब तक कोई टकराव की स्थिति सामने नहीं आई है, लेकिन जिस तरह से सेवायतों के समर्थन में अन्य मंदिरों के सेवायत भी आ रहे हैं, यह विवाद और व्यापक हो सकता है।
सेवायतों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे आंदोलन को मथुरा के बाहर भी फैलाएंगे और जन जागरण अभियान शुरू करेंगे। फिलहाल, सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि प्रशासन बातचीत के जरिए रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है।