एम्स दिल्ली ,नई दिल्ली: अगर रोज रात को खर्राटे आएं तो मेडिकल जांच कराएं : एम्स
एम्स दिल्ली ,नई दिल्ली: -एम्स में नींद से जुड़े डिसऑर्डर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया को लेकर कार्यशाला का आयोजन
एम्स दिल्ली ,नई दिल्ली, 8 दिसम्बर : अगर आप सोते समय रोजाना रात को या सप्ताह में दो बार से ज्यादा खर्राटे लेते हैं तो आपको चिकित्सकीय जांच कराने की जरूरत है।
यह परामर्श एम्स दिल्ली के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ अनंत मोहन, डॉ सौरभ मित्तल और डॉ पवन तिवारी ने रविवार को आयोजित ओएसए कार्यशाला में दिया। उन्होंने कहा, यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) के लक्षण हैं जो सेहत और जिंदगी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। सबसे अधिक चिंता की बात तो ये है कि इसकी वजह से व्यक्ति की सोते समय सांस भी रुक सकती है और उसकी मृत्यु का कारण बन सकती है। इस कार्यशाला में डॉक्टरों, प्रशिक्षुओं, शोधकर्ताओं और स्लीप मेडिसिन या नींद चिकित्सा विशेषज्ञों समेत करीब 60 डेलीगेट्स मौजूद रहे।
विशेषज्ञों ने बताया कि नींद के दौरान व्यक्ति की सांस रुक जाना, जो अक्सर एक घंटे में कई बार रुक सकती है। सोने के दौरान बीच-बीच में खर्राटे लेना भी इसके लक्षणों में से एक है। इसके निदान के लिए आपको नींद का अध्ययन कराने की जरूरत हो सकती है। उन्होंने बताया कि जब आप सोते हैं, तो आपके शरीर की सभी मांसपेशियां अधिक शिथिल हो जाती हैं। इसमें वे मांसपेशियां भी शामिल हैं जो आपके गले को खुला रखने में मदद करती हैं ताकि हवा आपके फेफड़ों में प्रवाहित हो सके। आम तौर पर, सोते समय आपका गला हवा को पास होने देने के लिए पर्याप्त खुला रहता है। कुछ लोगों का गला संकरा होता है। जब नींद के दौरान उनके ऊपरी गले की मांसपेशियाँ शिथिल हो जाती हैं, तो ऊतक बंद हो जाते हैं और वायुमार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं। सांस लेने में इस रुकावट को एपनिया कहा जाता है।
एचओडी एवं प्रो अनंत मोहन ने कहा, जोर से खर्राटे लेना ओएसए का एक लक्षण है। खर्राटे संकीर्ण या अवरुद्ध वायु मार्ग से हवा के निचोड़ने के कारण आते हैं। यह बहुत अधिक शराब पीने, नाक बंद होने, मोटापे या बढ़े हुए टॉन्सिल और एडेनोइड्स के कारण भी आते हैं। हालांकि, खर्राटे लेने वाले हर व्यक्ति को स्लीप एपनिया नहीं होता है। उन्होंने कहा, यह विकार अक्सर खराब लाइफस्टाइल और खानपान में लापरवाही की वजह से लोगों में देखने को मिलता है। इससे केवल बुजुर्ग ही पीड़ित नहीं है बल्कि युवा भी इस डिसऑर्डर का शिकार बनते जा रहे हैं। ऐसे में इस विकार को लेकर लोगों में जागरूकता लाई जानी बेहद जरूरी है।
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सौरभ मित्तल ने कहा कि मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसे ओएसए के कारण है। उन्होंने कहा कि रोज खर्राटे आने नॉर्मल नहीं है। सप्ताह में दो रात से अधिक खर्राटे आ रहे है तो, इसकी जांच करनी आवश्यक है। इस बीमारी के लक्षणों में नींद में परेशानी आना, खर्राटे लेना, सिर में दर्द रहना, सोते समय सांस फूलना, मुंह का सूखना, दिनभर थकान, आलस का रहना और दिन के समय नींद आना शामिल हैं। इसकी वजह से रोगी को ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है। इतना ही नहीं खून में ऑक्सीजन की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है जिससे व्यक्ति की काम करने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
क्या है सेंट्रल स्लीप एपनिया ?
सेंट्रल स्लीप एपनिया एक अलग तरह का स्लीप डिसऑर्डर है, जिसके दौरान सांस लेना भी बंद हो सकता है। यह तब होता है जब मस्तिष्क सांस को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को अस्थायी रूप से संकेत भेजना बंद कर देता है।