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कोहरे से सड़क बने किनारे तालाबों व नालों से संकट में जान

कोहरे से सड़क बने किनारे तालाबों व नालों से संकट में जान

अमर सैनी

नोएडा।सर्दियों में घने कोहरे की वजह से जहां एक्सप्रेसवे पर वाहनों का संचालन मुश्किल हो जाता हैं, वहीं जिले में ऐसी भी कई जगह हैं, जहां मुख्य मार्ग के साथ ही तालाब और नाले हैं। घने कोहरे के कारण दृश्यता कम होने पर इनके पास से गुजरना हादसे को दावत दे सकता है। तालाबों के चारों तरफ बाउंडरी या तार फेसिंग न होने से पूर्व में कई हादसे हो चुके हैं। साथ ही तालाबों में गंदगी होने से बीमारियां भी पनप रही है। गौतमबुद्ध नगर जिले में प्राधिकरण के क्षेत्र में गांव में स्थित तालाबों की पड़ताल की गई तो कई जगह ऐसी मिली, जहां साइन बोर्ड ही नहीं थे। सड़क सुरक्षा की दृष्टि से न तो कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया है और न ही रिफ्लेक्टर साइन बोर्ड लगाए गए। ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में कई गांवों में सड़कों सटे तालाब हैं, लेकिन कहीं भी सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। ग्रामीणों को सर्दियों में खासतौर पर तालाबों के पास से गुजरने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कोहरे के चलते गांव के संकरी रास्तों के किनारे स्थित तालाब में वाहन उतरने का खतरा हर समय बना रहता हैं। रात के अंधेरे में भी सामने आने वाले वाहनों की लाइट आंखों पर पड़ने पर बचाव करना मुश्किल होता है। प्राधिकरण की ओर से गांव में न तो तालाबों की तार फेसिंग की गई हैं और ना ही यहां किसी प्रकार की सुविधा हैं, जबकि प्राधिकरण क्षेत्र में तालाबों को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने का दावा कर चुका है। हालात यह है कि तालाबों में गंदगी जमा हो गई हैं, जिससे भूगर्भ जल दूषित हो गया है और मच्छरजनित बीमारियां फैल रही हैं।

दादूपुर के तालाब की स्थिति दयनीय

ग्रेटर नोएडा के दादूपुर गांव में तालाब की स्थिति बद से दयनीय है। हाल ही में प्राधिकरण ने इस तालाब पर करोड़ों रुपए खर्च किए थे, लेकिन अधिकारियों की अनदेखी की वजह से ठेकेदारों ने पूरी तरह से गोलमाल कर लिया। तालाब के चारों तरफ होने वाली तारबंदी भी नहीं की गई। हालांकि, कहीं-कहीं पर छोटी-मोटी तारबंदी की गई थी वह बारिश में तालाब के अंदर समा गई। तालाब के अंदर पानी को फिल्टर करने के लिए बनाए गए सेगमेंट बारिश में ही जलमग्न हो गए। गांव के निवासियों ने कई बार प्राधिकरण से शिकायत की मगर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी। गांव के तालाब की स्थिति जस की तस बनी हुई है और तालाब को जीर्णोद्धार के लिए खर्च किए गए करोड़ों रुपए पहली बारिश में ही बह गए। इससे ग्रामीणों में भारी रोष है।

पानी की निकासी न होने से जलभराव

ग्रेटर नोएडा के लडपुरा गांव में भी तालाब की स्थिति खराब है। गांव में सड़क के दोनों तरफ तालाब हैं, यहां पानी की निकासी की व्यवस्था सही नहीं है। बारिश या ओवरफ्लो होने पर तालाब का गंदगा पानी सड़क पर आ जाता हैं, जिससे वाहन चालकों को तालाब की सीमा को पहचाने में दिक्कत होती है। यहां पर भी तार फेसिंग नहीं हैं, जिससे कोहरे और बारिश में वाहनों के तालाब में गिरने का डर बना रहता है। तालाब के जीर्णोद्धार पर प्राधिकरण करोड़ों खर्च करने का दावा करता हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीण रात के अंधेरे में भी इस रास्ते से सफर करने में कदम पीछे खींचते हैं।

ग्रेनो में 200, यीडा क्षेत्र में 155 तालाब

यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्र में कुल 155 तालाब है। वर्तमान में 44 तालाबों का जीर्णोद्धार हो चुका है। इनमें 31 तालाब का प्राधिकरण और 13 का एनजीओ के माध्यम से विकास कराया गया है। 18 पार्कों पर अतिक्रमण हो रखा हैं। दो तालाब जेपी को हस्तांतरित किए हुए हैं। फिलहाल, करीब 64 तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर निर्माण कार्य प्रगति पर होने का दावा किया जाता है और 27 तालाबों का कायाकल्प शेष है। वहीं, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में करीब 200 तालाब हैं, जिनमें से 150 के कायाकल्प का दावा किया जाता है। हालांकि, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

तालाबों के जीर्णोद्धार को लेकर कार्य किए जा रहे हैं। वहीं, जिन गांवों में तालाबों की स्थिति बेकार हैं, उनमें तार फेसिंग और सुरक्षा के इंतजाम कराए जाएंगे।

– आशुतोष द्विवेदी, एसीईओ ग्रेनो प्राधिकरण

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