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आईसीजी को मिला स्वदेशी पोत, समुद्र में दिखाएगा अपना प्रताप

-देश को रक्षा उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना चाहिए: संजय सेठ

नई दिल्ली, 29 अगस्त: रक्षा क्षेत्र में भागीदार उद्योगों से आग्रह है कि देश को रक्षा उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के साथ शुद्ध निर्यातक बनाने का भी प्रयास करें। यह बातें रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने वीरवार को देश के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित प्रदूषण नियंत्रण पोत (समुद्र प्रताप) के लॉन्च के अवसर पर गोवा में कहीं। उनके साथ नीता सेठ भी मौजूद रहीं।

इस जहाज का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के लिए किया है। यह पोत देश के समुद्री तट पर तेल रिसाव को रोकने में मदद करेगा जिसे ‘समुद्र प्रताप’ नाम दिया गया है।रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी हो रही है कि देश रक्षा जरूरतों के लिए जहाज निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गया है और दूसरे देशों के लिए जहाज बनाने लगा है।

जीएसएल के बारें में
जीएसएल, एक प्रमुख भारतीय शिपयार्ड है जिस ने 583 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय तटरक्षक बल के लिए दो प्रदूषण नियंत्रण जहाजों के निर्माण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पहली बार है कि इन जहाजों को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया जा रहा है। जहाज को आईसीजी की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा इन-हाउस डिजाइन और निर्मित किया गया है। जहाज की लंबाई 114.5 मीटर, चौड़ाई 16.5 मीटर है और इसका विस्थापन 4170 टन होगा। जहाज का कील बिछाने का समारोह 21 नवंबर 2022 को आयोजित किया गया। लॉन्चिंग समारोह में जीएसएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ब्रजेश कुमार उपाध्याय के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय, आईसीजी, भारतीय नौसेना और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के अधिकारी शामिल हुए। ‘समुद्र प्रताप’ देश की जहाज निर्माण क्षमताओं का एक अनुकरणीय प्रमाण है और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड को अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रण जहाजों का उत्पादन करने में सक्षम भारतीय शिपयार्ड की श्रेणी में लाता है।

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