उत्तर प्रदेश, नोएडा: एक्सपायर दवाइयों के समुचित निस्तारण से बचेगा पर्यावरण
उत्तर प्रदेश, नोएडा: एक्सपायर दवाइयों के समुचित निस्तारण से बचेगा पर्यावरण

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा।अप्रयुक्त और एक्सपायर हो चुकी दवाइयां न केवल पर्यावरण के लिए खतरा बनती हैं, बल्कि यह मानव और पशु स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। ऐसे में इनका जिम्मेदारी के साथ सुरक्षित निपटान आवश्यक है। इसी उद्देश्य को लेकर राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स), ग्रेटर नोएडा में शनिवार को फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया।
सत्र में बताया गया कि स्वास्थ्य संस्थानों, अस्पतालों और फार्मेसियों में अनुपयोगी दवाओं का अनुचित तरीके से फेंकना जल, मिट्टी और वायु प्रदूषण को बढ़ा सकता है, जिससे आम जनता और जानवरों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। जिम्स के निदेशक डॉ. ब्रिगेडियर राकेश के गुप्ता ने बताया कि अप्रयुक्त दवाओं को शौचालय में फेंकना या उन्हें नाली में फेंकना ही एकमात्र रास्ता नहीं है। इससे दवाएं हमारे पर्यावरण में पहुंचती हैं। फार्माकोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर और अस्पताल फार्मेसी की प्रभारी डॉ. ममता यादव ने बताया कि एक्सपायर हो चुकी दवाओं का सुरक्षित और समय पर निपटान केवल नियामक अनुपालन का मामला नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य जिम्मेदारी भी है। फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सौरभ श्रीवास्तव, डॉ. एकता अरोड़ा ने भी लोगों को जागरूक किया।
– जिम्स में मनाया अंगदान दिवस
राष्ट्रीय अंगदान दिवस के अवसर पर जिम्स में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान अस्पताल के कर्मचारियों को देश में अंगों की कमी के बारे में जागरूक किया गया। निदेशक ने बताया कि भारत में हर साल लाखों लोग प्रत्यारोपण के लिए अंगों की अनुपलब्धता के कारण मर जाते हैं। भारत में अंगों की मांग और उपलब्धता के बीच भारी अंतर है।
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