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नई दिल्ली: खाद्य पदार्थों में चीनी व तेल की मात्रा को लेकर अस्पताल कैंटीन में लगेगा बोर्ड

नई दिल्ली: -केंद्रीय अस्पतालों के कैफेटेरिया और कैंटीन में बोर्ड लगाने की कवायद शुरू

नई दिल्ली, 17 जुलाई : लड्डू, समोसे और कचौरी जैसे तमाम खाद्य पदार्थों में चीनी व तेल की मात्रा प्रदर्शित करने की एडवाइजरी सामने आने के बाद केंद्रीय अस्पतालों ने अपनी कैंटीनों और कैफेटेरिया में बोर्ड लगाने की कवायद शुरू कर दी है। ताकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी परामर्श के मुताबिक आम लोगों में स्वस्थ खान-पान की आदतें विकसित हो सकें और तेजी से बढ़ रहे मोटापे की दर को नियंत्रित करने में मदद मिल सके।

इस कवायद के तहत देश के प्रतिष्ठित एम्स अस्पताल के साथ -साथ आरएमएल अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, सुश्री सुचेता कृपलानी अस्पताल और कलावती सरन बाल अस्पताल ने अपनी -अपनी कैंटीनों और कैफेटेरिया में चीनी और तेल की सूचना के बाबत बोर्ड लगाने का फैसला किया है। इन बोर्डों पर अस्पताल के खान-पान स्थलों पर परोसे जा रहे भोजन में चीनी, तेल और कैलोरी जैसी प्रमुख पोषण संबंधी जानकारियां प्रदर्शित की जाएंगी।

सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संदीप बंसल ने कहा कि खराब खान-पान की आदतें और कम शारीरिक गतिविधियां बच्चों में मोटापे के प्रमुख कारण हैं। ये नवीनतम उपाय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जून के प्रस्ताव के बाद आए हैं, जिसमें सरकारी विभागों, कार्यालयों और स्वायत्त निकायों से पिज्जा, बर्गर,समोसे, वड़ा पाव और कचौड़ी जैसे आम खाद्य पदार्थों में तेल और चीनी की मात्रा को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का आग्रह किया गया है।

एम्स दिल्ली की प्रवक्ता और प्रोफेसर रीमा दादा ने कहा, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम, स्वागत योग्य पहल है। मोटापा न केवल वयस्कों में, बल्कि बच्चों में भी तेजी से बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां, जो पहले ज्यादातर वृद्ध लोगों में देखी जाती थीं, अब बच्चों को भी प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने बताया, ये बोर्ड लोगों को परोसे जा रहे भोजन में पोषक तत्वों की जानकारी जैसे चीनी, तेल और कैलोरी की मात्रा प्रदर्शित करेंगे, जिससे मरीज, कर्मचारी और आगंतुक सूचित आहार विकल्प चुन सकेंगे।

आरएमएल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर पुलिन गुप्ता ने कहा, बोर्डों का उद्देश्य आम लोगों को अत्यधिक तेल के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में शिक्षित करना है, ताकि मोटापे की समस्या से निपटा जा सके। इस पहल का उद्देश्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों पर अंकुश लगाना और चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्यवर्धक खानपान की ओर लोगों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने हाल के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया, एनएफएचएस-5, 2019-21 के अनुसार, शहरी भारत में प्रत्येक पांच में से एक वयस्क अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है।

2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग होंगे मोटापे के शिकार
वर्ष 2025 में प्रकाशित लैंसेट ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) 2021 मोटापा पूर्वानुमान अध्ययन में आगे अनुमान लगाया गया है, भारत में अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त वयस्कों की संख्या 2021 में 18 करोड़ से बढ़कर 2050 तक 44.9 करोड़ हो जाएगी, जिससे भारत दुनिया में मोटापे के मामले में दूसरे नंबर पर आ जाएगा।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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