Sanjeev Kumar Birth Anniversary: ‘शोले’ के ठाकुर से लेकर ‘अंगूर’ के अशोक तक, संजीव कुमार के अभिनय ने रच दिया सिनेमा का इतिहास
Sanjeev Kumar Birth Anniversary: शोले के ठाकुर बलदेव सिंह से लेकर आंधी के जेके और अंगूर के डबल रोल तक, जानिए संजीव कुमार के सबसे चर्चित और यादगार किरदार जो उन्हें अभिनय सम्राट बनाते हैं।

Sanjeev Kumar Birth Anniversary: शोले के ठाकुर बलदेव सिंह से लेकर आंधी के जेके और अंगूर के डबल रोल तक, जानिए संजीव कुमार के सबसे चर्चित और यादगार किरदार जो उन्हें अभिनय सम्राट बनाते हैं।
Sanjeev Kumar : वो कलाकार जिसने हर किरदार को जीया, हर रोल को अमर बना दिया
Sanjeev Kumar Birth Anniversary Special: हिंदी सिनेमा के उन कलाकारों में से एक, जिन्होंने ना तो कभी छवि की कैद स्वीकार की और ना ही ग्लैमर को अभिनय पर हावी होने दिया — ऐसे थे संजीव कुमार, जिनका जन्म 9 जुलाई 1938 को हुआ था। मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखने वाले हरिहर जेठालाल जरीवाला ने जब पर्दे पर ‘संजीव कुमार’ बनकर कदम रखा, तो अभिनय की परिभाषा ही बदल गई।
थिएटर से शुरुआत, परदे पर कमाल
संजीव कुमार ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की थी। 1960 में फिल्म ‘हम हिंदुस्तानी’ से फिल्मों में डेब्यू किया, लेकिन पहचान मिली 1970 के दशक में जब उन्होंने एक के बाद एक क्लासिक और चुनौतीपूर्ण रोल निभाए। उन्होंने हर उम्र, हर शैली और हर वर्ग के किरदारों को इतनी सहजता से निभाया कि वे सिनेमा के “चरित्रों के कलाकार” बन गए।
Sanjeev Kumar के 6 सबसे यादगार किरदार
1. ठाकुर बलदेव सिंह – शोले (1975)
रमेश सिप्पी की इस कल्ट फिल्म में बिना हाथों के बदले की भावना से भरे ठाकुर बलदेव सिंह का किरदार निभाकर संजीव कुमार ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में खुद को हमेशा के लिए दर्ज कर दिया।
2. जे.के. – आंधी (1975)
गुलजार की राजनीतिक-रोमांटिक फिल्म में सुचित्रा सेन के अपोजिट उन्होंने एक ऐसे पति का किरदार निभाया जो प्यार और अहम के बीच उलझा होता है। उनका अभिनय आज भी उतना ही सधा और भावुक लगता है।
3. हरिचरण – कोशिश (1972)
एक बहरे व्यक्ति की भूमिका में संजीव कुमार ने ना केवल संवाद रहित अभिनय किया, बल्कि इस रोल को इतनी संवेदनशीलता दी कि इसे आज भी सर्वश्रेष्ठ मूक अभिनय में गिना जाता है।
4. विजयकमल – खिलौना (1970)
मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति की भूमिका निभाकर उन्होंने साबित कर दिया कि वे भावनाओं को चेहरे पर चित्रित करने के उस्ताद हैं।
5. अशोक आर. तिलक (डबल रोल) – अंगूर (1982)
गुलजार निर्देशित इस हास्य फिल्म में डबल रोल कर संजीव कुमार ने दिखाया कि वे कॉमिक टाइमिंग में भी किसी से पीछे नहीं हैं। फिल्म आज भी “कल्ट कॉमेडी” के रूप में देखी जाती है।
6. रवि – सीता और गीता (1972)
कॉमेडी, रोमांस और ड्रामा के इस मेल में उन्होंने हेमा मालिनी के साथ परफेक्ट संतुलन बनाकर दर्शकों का दिल जीता।
और भी किरदार जो याद रहेंगे
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मौसम (1975): डॉ. अमरनाथ के रूप में एक गंभीर, परिपक्व और प्रेम में छला गया पुरुष।
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पति, पत्नी और वो (1978): एक आम आदमी के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को बेमिसाल कॉमिक अंदाज़ में दिखाया।
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देवता (1978): डबल रोल में मर्डर मिस्ट्री को संजीव ने रहस्य और अभिनय के संगम से सजाया।
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जिंदगी (1976): एक टूटते रिश्ते और सम्मान के संघर्ष की कहानी।
क्यों खास हैं Sanjeev Kumar ?
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वे हीरो की पारंपरिक परिभाषा को तोड़ते हैं।
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किरदार चाहे बूढ़ा हो, पागल हो, मूक हो या धोखेबाज़ — उन्होंने हर रोल को जीवन दिया।
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कभी स्टारडम की भूख नहीं रखी, सिर्फ किरदारों की गहराई से रिश्ता बनाया।
यादों में Sanjeev Kumar
47 साल की उम्र में 1985 में उनका निधन हो गया, लेकिन आज भी उनके निभाए किरदार भारतीय सिनेमा में संवेदनशीलता और अभिनय के प्रतीक बने हुए हैं।