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Delhi: दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर सरकारी शिकंजा, कार डीलर्स बोले– व्यापार पर गहरा असर, ग्राहक हुए मायूस

Delhi: दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर सरकारी शिकंजा, कार डीलर्स बोले– व्यापार पर गहरा असर, ग्राहक हुए मायूस

दिल्ली सरकार द्वारा 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल से अधिक पुरानी डीजल गाड़ियों पर की जा रही सख्त कार्रवाई का असर अब धीरे-धीरे बाजार में दिखाई देने लगा है। एक निर्धारित तारीख के बाद इन गाड़ियों को जब्त करने की मुहिम शुरू हो चुकी है और वाहन मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है। इस अभियान का सीधा असर कार डीलिंग कारोबार पर पड़ा है, खासतौर पर उन डीलर्स पर जो सेकंड हैंड गाड़ियों का व्यापार करते हैं।

रोहिणी इलाके के कुछ कार डीलर्स से बातचीत में सामने आया कि पुरानी गाड़ियों पर सरकारी रोक से उनके व्यापार की रफ्तार थम गई है। डीलर्स ने बताया कि भले ही व्यापार पूरी तरह बंद नहीं हुआ, लेकिन पुराने वाहनों की कीमतें इस कदर गिर गई हैं कि ग्राहक निराश होकर गाड़ी बेचने से ही पीछे हट रहे हैं।
एक डीलर ने कहा, “लोग अपनी पुरानी कारें बेचने आते हैं, लेकिन बाजार में उन कारों की कीमत अब नाममात्र रह गई है। एक समय जो गाड़ी लाखों में बिकती थी, आज वही गाड़ी कबाड़ के भाव में भी नहीं जा रही। इससे ग्राहक परेशान हैं और डीलर्स के पास स्टॉक बढ़ रहा है।”

इसके अलावा, अन्य राज्यों में टैक्स दरें बढ़ने और रजिस्ट्रेशन से जुड़ी जटिलताओं के चलते उन राज्यों में भी इन गाड़ियों की डिमांड नहीं रही, जहां पहले दिल्ली की पुरानी गाड़ियाँ भेज दी जाती थीं। इससे दिल्ली के डीलर्स के पास न तो खरीदार हैं और न ही विकल्प।

सरकार का तर्क है कि पुरानी गाड़ियों से प्रदूषण बढ़ता है और दिल्ली जैसे शहर में जहरीली हवा पर काबू पाने के लिए यह कदम जरूरी है। लेकिन कारोबारी वर्ग का कहना है कि यदि सरकार स्क्रैप पॉलिसी को और व्यावहारिक बनाए या पुराने वाहनों के नवीनीकरण की कोई राह खोले, तो गाड़ियों के मालिकों को भी राहत मिलेगी और व्यापार पर भी सकारात्मक असर होगा। फिलहाल, बाजार में सेकंड हैंड गाड़ियों के व्यापार पर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है और डीलर्स उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार कुछ राहत भरे कदम जल्द उठाएगी।

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ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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