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उत्तर प्रदेश, लखनऊ: 1750 राजकीय नलकूपों का पुनर्निर्माण कर बनाया जाएगा ईको फ्रैंडली, ढाई लाख कृषक परिवारों को सीधा लाभ

उत्तर प्रदेश, लखनऊ: योगी सरकार करेगी सिंचाई क्षमता में पौने दो लाख हेक्टेयर की वृद्धि

उत्तर प्रदेश, लखनऊ, 27 मई, 2025 : योगी सरकार किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में लगातार कार्य कर रही है। अब सरकार राज्य के 1750 राजकीय नलकूपों का पुनर्निर्माण कर उन्हें ईको फ्रेंडली ट्यूबवेल में तब्दील करेगी। जिससे प्रदेश के करीब ढाई लाख कृषक परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। इसके साथ ही सिंचाई क्षमता में पौने दो लाख हेक्टेयर की वृद्धि भी होने जा रही है। ये सभी सिंचाई परियोजनाएं अगले दो वर्षों में पूरी कर ली जाएंगी, जो किसानों के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित होंगी। सबसे खास बात ये है कि सौर ऊर्जा के माध्यम से हाईब्रिड मोड पर लघु डाल नहरों को संचालित करने का अभिनव प्रयोग किया जा रहा है।

राजकीय नलकूप होंगे ईको फ्रैंडली, पौधरोपण से होगा सौंदर्यीकरण
राजकीय नलकूपों को पर्यावरण अनुकूल बनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत नलकूपों के चारों ओर पौधरोपण किया जाएगा और उन्हें ईको फ्रैंडली ट्यूबवेल के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा और हरित क्षेत्र में वृद्धि होगी।

लघु डाल नहरों के निर्माण का सर्वेक्षण जारी, सौर ऊर्जा से होंगे संचालित
सतही जल के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 21 नवीन लघु डाल नहरों के निर्माण के लिए व्यापक सर्वेक्षण किया जा रहा है। इन नहरों को सौर ऊर्जा के माध्यम से हाईब्रिड मोड पर संचालित करने का अभिनव प्रयोग शुरू किया गया है। इससे ऊर्जा की बचत के साथ-साथ सतत सिंचाई संभव हो सकेगी।

स्मार्ट सिंचाई प्रणाली से बदलेगी खेती की तस्वीर
सरकार की योजना केवल भौतिक संरचनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सिंचाई में आधुनिक तकनीकों को भी शामिल किया जा रहा है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) स्मार्टफोन टूल्स और सेंसर जैसी तकनीकों का उपयोग कर स्मार्ट सिंचाई प्रणाली लागू की जा रही है। इस तकनीक के जरिए पानी के प्रवाह को दूर से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है और आवश्यकतानुसार ही पानी का उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।

अगले दो वर्षों में पूरी होंगी सिंचाई परियोजनाएं
दो वर्षों के भीतर यह सभी सिंचाई परियोजनाएं पूरी कर ली जाएंगी। इस प्रयास से न सिर्फ सिंचाई के संसाधनों में इजाफा होगा, बल्कि किसानों को कम लागत में बेहतर सुविधा भी प्राप्त होगी। इस योजना को किसानों के लिए टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है

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