
नई दिल्ली, 12 मई : राजधानी दिल्ली में कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है जिसके चलते रोजाना हजारों लोग ना सिर्फ डॉग बाईट के शिकार बन रहे हैं। बल्कि डॉग बाईट से होने वाले रेबीज जैसे जानलेवा रोग से बचाव के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटकते फिर रहे हैं।
दरअसल, पूर्वी दिल्ली में रहने वाला 16 वर्षीय किशोर कुत्ते के काटने से घायल हो गया था। दोनों हाथों पर गहरे जख्म होने के कारण गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी) अस्पताल ले जाया गया। जहां किशोर को रेबीज रोधी वैक्सीन की खुराक तो दे दी गई। मगर सीरम नहीं दिया गया। सीरम के लिए पीड़ित को सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल रेफर कर दिया गया। परिजनों के पूछने पर स्टाफ ने बताया कि अस्पताल में सीरम उपलब्ध नहीं है। आखिरकार किशोर को करीब 25 किमी दूर सफदरजंग अस्पताल जाना पड़ा जहां उसे सीरम का इंजेक्शन दिया गया। इस संबंध में जीटीबी अस्पताल प्रशासन से बात की गई तो एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में सीरम का स्टॉक काफी समय से उपलब्ध नहीं है। सीरम की आपूर्ति के लिए रिक्वेस्ट भेजी गई है लेकिन अभी तक आपूर्ति बहाल नहीं हुई है। इसी वजह से मरीजों को सीरम के लिए अन्यत्र रेफर करना पड़ रहा है।
वैक्सीन और सीरम में फर्क ?
वैक्सीन एक एंटीजन होता है, जब यह शरीर के भीतर जाता है तो रेबीज वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। इस प्रक्रिया में तीन से चार दिन का समय लग जाता है। वहीं, सीरम एक एंटीबॉडी होता है। यह सीधे शरीर में जाकर रेबीज के वायरस को खत्म करना शुरू कर देता है। रेबीज के टीकाकरण के लिए आमतौर पर 0, 3, 7 और 14 दिन के भीतर खुराक दी जाती हैं। अगर व्यक्ति प्रतिरक्षा विहीन है तो उसे 28वें दिन पांचवीं खुराक दी जा सकती है।
क्या है रेबीज ?
रेबीज एक घातक वायरल संक्रमण है जो कुत्ते, बिल्ली और बंदर जैसे जानवरों के मुंह की लार में मौजूद रहता है। यह संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से बने जख्म के रास्ते पीड़ित के शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन हो जाती है। रेबीज के लक्षण दिखने के बाद, यह लगभग हमेशा घातक होता है।
कुत्ता काटे तो क्या करें ?
अगर कुत्ता काट ले तो काटने या खरोंच वाली जगह को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। 24 घंटे के अंदर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाएं लेकिन 72 घंटे से ज्यादा देरी न करें। उसके बाद इंजेक्शन प्रभावी नहीं रहता। रेबीज के टीकाकरण के लिए आमतौर पर 0, 3, 7 और 14 दिन के भीतर खुराक दी जाती हैं। अगर व्यक्ति प्रतिरक्षा विहीन है तो उसे 28वें दिन पांचवीं खुराक दी जा सकती है।
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