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नई दिल्ली: दिल्ली- एनसीआर में सालाना 3 हजार लोग सीकेडी के शिकार !

नई दिल्ली: -अकेले एलएचएमसी ने एक माह में 300 नए मरीजों का लगाया पता

नई दिल्ली, 7 अप्रैल: देश में किडनी रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है जिसके तहत अकेले दिल्ली एनसीआर में सालाना 3000 ऐसे मरीज सामने आते हैं जो ‘अंतिम चरण गुर्दे की बीमारी’ (ईएसआरडी) से पीड़ित हैं। यह क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) का अंतिम चरण होता है जिसमें पीड़ित के गुर्दे ठीक से काम नहीं कर पाते और उसे डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।

यह जानकारी लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ अनुपम प्रकाश ने सोमवार को दी। उन्होंने बताया कि हमने वृहद स्क्रीनिंग प्रोग्राम के जरिये पिछले एक महीने में करीब 10 हजार किडनी मरीजों की जांच के बाद एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) या सीकेडी के 3% मामलों का पता लगाया है। इन मरीजों में बच्चे भी शामिल हैं जिन्हें डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की जरुरत है।

उन्होंने बताया कि आधारशिला रीनल केयर परियोजना के तहत एक अमेरिकी एनजीओ और स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिसिन विभाग को 20 डायलिसिस मशीनें व 17 प्रशिक्षित तकनीशियन उपलब्ध कराए हैं। सीकेडी के लक्षणों में थकान, उनींदापन, पेशाब में कमी, त्वचा में खुजली, मतली और हड्डियों में दर्द शामिल हैं। इसके अलावा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और किडनी रोग का पारिवारिक इतिहास भी जोखिमों को बढ़ा देता है। इस दौरान स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ अतुल गोयल, निदेशक डॉ सरिता बेरी, नीना जॉली और गीता अरोड़ा और नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ मौजूद रहे।

क्या है डायलिसिस?

डायलिसिस एक मशीनी उपचार है जो मरीज के गुर्दे ठीक से काम नहीं करने पर मरीज के रक्त से अतिरिक्त तरल पदार्थ और अपशिष्ट उत्पादों को निकालता है। मरीज के गुर्दे शरीर के लिए फिल्टर का काम करते हैं। वे रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को अलग करते हैं और मूत्र (पेशाब) के माध्यम से इसे बाहर निकाल देते हैं। ये पदार्थ स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजिस्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम

मई 2025 से भारतीय बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजिस्ट सोसायटी के सहयोग से पांच साल का राष्ट्रीय बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजिस्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य देश के सभी राज्यों के अस्पतालों में एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) से पीड़ित बच्चों के लिए समय पर और उच्च गुणवत्ता वाला उपचार यानि डायलिसिस की सुविधा सुनिश्चित करना है।

अब तक 8500 डायलिसिस सत्र संपन्न

परियोजना के तहत दिल्ली के चार सरकारी अस्पतालों (राम मनोहर लोहिया अस्पताल, और सफदरजंग अस्पताल, श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल और कलावती सरन बाल अस्पताल) में 30 डायलिसिस मशीनें और तकनीशियन प्रदान किए हैं जो मई 24 से अप्रैल 25 तक लगभग 8,500 डायलिसिस सत्र संपन्न कर चुके हैं। इस परियोजना का लक्ष्य पांच वर्षों में पांच लाख मुफ्त डायलिसिस सत्र की सुविधा प्रदान करना है।

बुनियादी ढांचे को मजबूत करना

भारत में डायलिसिस वितरण: मांग, चुनौतियां और नीति संबंधी रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) के लगभग 2.2 लाख नए मामले सामने आते हैं, जिसके लिए 3.4 करोड़ से अधिक डायलिसिस सत्रों की जरुरत होती है। जबकि, देश में डायलिसिस मशीनें लगभग 22,500 हैं, जो कुल मांग के हिसाब से सिर्फ 25% हैं। रिपोर्ट का अनुमान है कि किडनी मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर कम से कम 65 हज़ार डायलिसिस केंद्र और 20,000 से अधिक प्रशिक्षित तकनीशियन और नेफ्रोलॉजिस्ट की जरुरत है।

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