
नई दिल्ली, 21 मार्च : एम्स दिल्ली चिकित्सा संस्थान नहीं बल्कि एक ‘ब्रांड’ है। एक ऐसा ब्रांड जिस पर ना सिर्फ देश भरोसा करता है। बल्कि देश का हर सांसद और केंद्रीय मंत्री अपने संसदीय क्षेत्र में एक ‘एम्स’ स्थापित करने की चाह रखता है। इसकी विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा नवाचारों में प्रगति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
यह बातें एम्स दिल्ली के अध्यक्ष और स्वास्थ्य मंत्री डॉ जगत प्रकाश नड्डा ने भारत मंडपम में शुक्रवार को आयोजित एम्स के 49वें दीक्षांत समारोह में कही। उन्होंने कहा, हमने एम्स के फैकल्टी भर्ती को लेकर कोई समझौता नहीं किया जिसके परिणाम स्वरुप यहां पढ़ने वाले डॉक्टर चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। साथ ही रोबोटिक सर्जरी से लेकर तमाम नई चिकित्सकीय विधाओं में पारंगत होकर मरीजों का इलाज करते हैं। यही नहीं मरीज के इलाज में अपनी जान लगा देते हैं।
डॉ नड्डा ने कहा, पहले हमारे देश के डॉक्टर चिकित्सा और शोध कार्यों के लिए विदेश को प्राथमिकता देते थे। चूंकि तब यहां सुविधाओं की कमी होती थी लेकिन अब यहां शोध संबंधी तमाम विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, अब एम्स में 900 शोध पत्रों को तैयार करने के साथ ड्यूल किडनी सर्जरी भी हो रही है। मोदी सरकार के कार्यकाल में एम्स की संख्या 22 तक पहुंच गई है जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक लंबी छलांग है। नड्डा ने कहा, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता एक नागरिक अधिकार है लेकिन एम्स जैसे संस्थानों की उपलब्धता विशेषाधिकार है।
उन्होंने नवोदित डॉक्टरों से कहा, आप ये मत सोचना कि ‘मैं’ आज डॉक्टर बन गया हूं। इसके पीछे आपकी अकेले की मेहनत नहीं है, बल्कि आपके माता -पिता और शिक्षकों की भी मेहनत है। उन्होंने आपके करियर के लिए अपनी जान लगाई है। इसके अलावा सरकार भी देश को योग्य डॉक्टर प्रदान करने के लिए लाखों -करोड़ों रुपये ( प्रति डॉक्टर 35 लाख रुपये) खर्च कर रही है। उम्मीद है कि आप सभी अपने ज्ञान और कौशल का प्रयोग करते हुए मानवता की सेवा करेंगे।
इस अवसर पर एम्स दिल्ली के निदेशक प्रो. एम. श्रीनिवास ने कहा, हमारे पूर्व स्नातक आज एम्स की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और नए स्नातक अपनी विशेषज्ञता, प्रतिबद्धता और करुणा के साथ समाज की सेवा करने के लिए तैयार हैं। एम्स ने हमेशा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मिसाल कायम की है। उन्होंने कहा, हमने लगातार सात वर्षों, 2018-2024 तक एनआईआरएफ मेडिकल कॉलेज रैंकिंग में नंबर 1 स्थान बनाए रखा है और हम इस मानक को बनाए रखने का प्रयास करेंगे।
अद्वितीय बुनियादी ढांचे का विकास
प्रो. एम. श्रीनिवास ने कहा, पिछले दो वर्षों में एम्स ने अपने बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में भारी प्रगति की है। अपने नए अवतार में, संस्थान में 4,000 से अधिक इनपेशेंट बेड हैं, जो लगभग 48 लाख ओपीडी रोगियों का इलाज करते हैं और हर साल 3.2 लाख इनपेशेंट को भर्ती करते हैं। इसने अपनी सर्जिकल क्षमता में भी 50% की वृद्धि की है, जो सालाना लगभग 2.80 लाख सर्जरी करता है, जिनमें से कई अत्यधिक जटिल हैं। इसके अलावा बिस्तर क्षमता में 34% का विस्तार किया गया है। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में सेंटर फॉर मेडिकल इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप के जरिये 24 हेल्थकेयर स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो रीजेनरेटिव मेडिसिन और मेडिकल डिवाइस के साथ-साथ ऐप-आधारित हेल्थकेयर समाधानों पर काम कर रहे हैं।