
नई दिल्ली, 21 मार्च : एम्स दिल्ली उन लाखों रोगियों के लिए आशा का प्रतीक है, जो अक्सर दूर-दूर से इलाज के लिए आते हैं। इसके प्रोफेसर, डॉक्टर व पैरामेडिक्स, गैर-चिकित्सा कर्मियों की मदद से वंचितों और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों का समान समर्पण और सहानुभूति के साथ इलाज करते हैं। यह कहा जा सकता है कि एम्स गीता के कर्म योग की चलती हुई प्रयोगशाला है।
यह बातें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत मंडपम में आयोजित एम्स दिल्ली के 49वें दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को कहीं। इस अवसर पर कुल 1,886 मेडिकल छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं, जिनमें से 77 पीएचडी, 363 डीएम/एमसीएच, 572 एमडी, 76 एमएस, 49 एमडीएस, 74 फेलोशिप, 172 एमएससी, 191 एमबीबीएस और 312 बीएससी थीं। इसके अलावा अपनी सराहनीय सेवाओं के जरिये एम्स दिल्ली की प्रतिष्ठा में इजाफा करने वाले 8 डॉक्टरों को लाइफटाइम अचीवमेंट भी अवार्ड प्रदान किए गए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, अब आपको अपनी शिक्षा का इस्तेमाल करते हुए ना सिर्फ उज्ज्वल करियर बनाना है। बल्कि वंचितों की मदद करने के किसी भी अवसर को हाथ से नहीं जाने देना हैं, यानि नजरअंदाज नहीं करना है। उन्होंने कहा ,नवोदित डॉक्टरों से अपेक्षा है कि वे उन क्षेत्रों में लोगों की सेवा करने पर विचार करेंगे, जहां चिकित्सा पेशेवर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं। भले ही यह सेवा साल में कुछ समय के लिए ही क्यों न हो?
उन्होंने छात्रों को अपने आस-पास के लोगों का ख्याल रखने और अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने की भी सलाह दी। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, एम्स निदेशक डॉ एम श्रीनिवास, डीन डॉ केके वर्मा, रजिस्ट्रार गिरिजा प्रसाद रथ और नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल आदि मौजूद रहे।
मानसिक स्वास्थ्य पर जोर
भावनात्मक स्वास्थ्य के मुद्दे पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि यह आज की दुनिया में एक गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि किसी के लिए भी, खासकर युवा पीढ़ी के लिए, निराशा की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवन में हर नुकसान की भरपाई की जा सकती है, सिवाय एक अनमोल जीवन के नुकसान के। उन्होंने एम्स के संकाय से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर जागरूकता अभियान शुरू करने का आग्रह किया, ताकि लोगों को इस छिपी हुई बीमारी के बारे में जागरूक किया जा सके।