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राजनीती: खड़गे जी गंगोत्री ही साफ़ नहीं होगी तो गढ़गंगा कैसे साफ़ होगी …..

राजनीती: खड़गे जी गंगोत्री ही साफ़ नहीं होगी तो गढ़गंगा कैसे साफ़ होगी …..

राजनीती: कांग्रेस के अस्सी वर्षीय राहुल और प्रियंका की बैसाखियों पर खड़े मजबूर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस का एकाधिकार प्राप्त राजशाही परिवार को बचाने के लिए एक नया ही फरमान जारी कर दिया कि अब यदि कहीं भी कांग्रेस हारेगी तो उस प्रदेश के अध्यक्ष और प्रभारी को ही जिम्मेवार ठहराया जाएगा । वह शायद यह कहना भूल गए कि यदि जीत गए तब भी जीत का श्रेय प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी को ही जाएगा। क्यूंकि उस समय चमचों और चाटुकारों की वानर सेना पूरे देश में उछल उछल कर शोर मचाएगी की देखो राजकुमार राहुल और राजकुमारी प्रियंका ने चुनाव जितवा दिया, जैसा आम चुनाव 2024 में 99 सीट जीतकर अश्वमेध यज्ञ के लूले लंगड़े घोड़े पर सवार होकर देश भर में प्रचार करते घूमे और कहा की हमने भाजपा को हरा दिया । अब सोचो 240 सीट ज़्यादा होती है या 99। और सरकार भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की है या टूटी फूटी अर्धविक्षिप्त इंडी की। यदि कांग्रेस में चाटुकारिता समाप्त कर कांग्रेस का पुनर्स्थापन करना है तो विजय और पराजय नेतृत्व की ही होनी चाहिए , या विजय का भी श्रेय प्रदेशाध्यक्ष और प्रभारी को भी जाना चाहिए।

यह कांग्रेस और देश का दुर्भाग्य ही है की वर्तमान कांग्रेस हार के सही कारण का विश्लेषण कभी भी नहीं करना चाहती है, सिर्फ खानापूर्ति ही होती है । ऐसा लगता है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की भारतीय राजनीति के मैदान में वापस आने की इच्छा शक्ति ही समाप्त हो गई है । यह सब पार्ट टाइम राजनैतिक परिवार की चाटुकारिता के कारण हो रहा है। चीर युवा बाल बुद्धि भाई बहन इक्कीसवीं सदी के भारत को भी अभी तक बीसवीं सदी का ही भारत मानकर चल रहें है जहाँ लोग गरीबी हटाओ के झूठे नारे पर इंदिरा गांधी को वोट दे देते है । तब भारत भोला था, सूचना क्रांति नहीं थी, जनता में विकसित भारत बनाने और विश्व गुरु बनने की आशा आकांक्षा जागृत ही नहीं की गई थी ।

आज इक्कीसवीं सदी का भारत है, सूचना क्रांति ने उसे विश्व और राष्ट्रीय राजनीति के मध्य में खड़ा कर दिया है, सुनने समझने की शक्ति में बहुत विस्तार हुआ है । गाँव की चौपाल में शाम को बैठकर वह चर्चा करते है कि कौन देश को आगे ले जा सकता है, ट्रम्प क्या सोच रहा है, रूस यूक्रेन में क्या चल रहा है, इज़राइल-फिलिस्तीन में क्या हो रहा है, भारत पाँचवीं अर्थव्यवस्था बनने के बाद अब कहाँ पहुँचने वाला है। किसकी सोच सकारात्मक है और हर समय देश को आगे बढ़ाने की बात कौन करता है, कौन विदेशी शक्तियों से मिलकर देश को कमजोर कर नकारात्मक बात करते हुए सिर्फ मोदी , भाजपा, आरएसएस को कोसते हुए अब तो इंडियन स्टेट से लड़ने की बात करता है ।

खड़गे को गांधी परिवार के प्रेम के चश्मे को उतार कर हकीकत समझने का प्रयास करना चाहिए । उन्हें उम्र के इस पड़ाव पर समझना चाहिए कि हार जीत प्रदेशों के अध्यक्षों और प्रभारियों के कारण नहीं उनके स्वयंभू चीर युवा बाल बुद्धि नेता के अपरिपक्व वक्तव्यों से होती है । जब तक उसकी जुबान देश हित में नहीं बोलेगी , राष्ट्र हित सर्वोपरि नहीं होगा, सनातन को जानबूझकर बदनाम करना नहीं छोड़ेगा, लोकतंत्र खतरे में है , संविधान खतरे में है का झूठ बोलना बंद नहीं होगा कांग्रेस को इसकी अंतिम यात्रा की प्रशस्ति से कोई भी रोक नहीं सकता । कभी पाकिस्तान और कभी चीन को प्रसन्न करने से भारत की जनता खुश नहीं होती। प्रदेशाध्यक्ष इस बदजुबान अघोषित अध्यक्ष राहुल का क्या कर सकते हैं , प्रभारी तो वैसे भी बेचारे बाहर के ही होते हैं। इसलिए खड़गे जी अनजान होने का चोला उतारिए और यदि कांग्रेस को पुनः पुनर्जीवित करना चाहते हो तो असली समस्या को समझिए ।असली समस्या राजशाही परिवार ही है ।
अब वक्त आ गया है कांग्रेस को परिवार के दुष्प्रभाव से बाहर निकालकर असली कांग्रेस विचारधारा के लोगों को सत्ता सौंपकर ही कोई सार्थक समाधान निकल सकता है।

कल कांग्रेस के अध्यक्ष ने महासचिवों को फिर एक झूठ की चासनी में लिपटी गोली पिलाने की कोशिश करी की ईवीएम, चुनाव आयोग हमारी हार के लिए जिम्मेवार है । उन्होंने बिना किसी सबूत के फिर कहा कि हमारे वोटरों के लाखों वोट काट दिए जाते है । फिर कहूँगा कि हार के असली कारणों का विश्लेषण किए बिना झूठी रुदाली कर कैसे समस्या का समाधान करोगे ।
खड़गे जी , अपने कार्यकाल में सच्चाई का सामना करते हुए कांग्रेस का पुनरुत्थान कर दीजिए, आपके पास खोने को कुछ नहीं है । इस पार्टी ने आपको बहुत कुछ दिया है , ऋण उतारने का समय है । राहुल , प्रियंका की चमचागिरी से आपको कोई याद नहीं रखेगा ।

राकेश शर्मा

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