TOP Story Exlclusive: दिल्ली विधानसभा चुनाव, फ्री की रेवड़ियां या जनता का हक?
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TOP Story Exlclusive: दिल्ली विधानसभा चुनाव, फ्री की रेवड़ियां या जनता का हक?
रिपोर्ट: रवि डालमिया
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान अपने चरम पर पहुंच चुका है। राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए वादों की झड़ी लगा रहे हैं। हर पार्टी चुनावी मैदान में फ्री की योजनाओं के ऐलान के साथ उतर रही है। इस मुद्दे पर जब टॉप स्टोरी ने पूर्वी दिल्ली की जनता से चर्चा की, तो उनके विचारों ने चुनावी राजनीति में फ्री की योजनाओं की संस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े किए।
जनता का एक बड़ा वर्ग फ्री की योजनाओं को गलत मानता है। उनका कहना है कि यह परंपरा राजनीतिक पार्टियों द्वारा वोट बैंक बढ़ाने का साधन बन गई है। हालांकि, जरूरतमंदों जैसे बुजुर्ग, विकलांग और गरीब वर्ग के लिए यह योजनाएं फायदेमंद हो सकती हैं। जनता के अनुसार, दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद फ्री योजनाओं की आदत ने नई राजनीति का दौर शुरू किया। बिजली, पानी और बस यात्रा जैसी सुविधाएं फ्री मिलने से गरीब वर्ग को राहत तो मिली, लेकिन इसके चलते अब अन्य पार्टियां भी चुनाव में फ्री योजनाओं का वादा करने को मजबूर हो गई हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि यह फ्री योजनाएं जनता के हक का हिस्सा हैं, जिससे उनके खर्च में कमी आती है। वहीं, दूसरों का कहना है कि यह चलन देश की राजनीति में दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है। पहले जहां पार्टियां अपने कामकाज का रिपोर्ट कार्ड पेश करती थीं, अब फ्री योजनाओं की होड़ ने उस पर पर्दा डाल दिया है।
चुनाव में जनता का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि फ्री की योजनाएं उनकी जिंदगी पर कितना प्रभाव डालती हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह फ्री की रेवड़ी संस्कृति देश की राजनीति को सही दिशा में ले जाएगी, या सिर्फ एक चुनावी हथकंडा बनकर रह जाएगी? दिल्ली चुनाव का यह मंजर पूरे देश की राजनीति के लिए एक संकेत है कि अब बिना फ्री योजनाओं के चुनावी मैदान में उतरना मुश्किल है।