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एम्स ने बनाया दुनिया का पहला ओरल कैंसर डिटेक्शन प्लेटफार्म 

-मरीज के मुंह की फोटो से एआई टूल करेगा मुख कैंसर की पहचान

नई दिल्ली, 12 मई : ओरल कैंसर या मुंह के कैंसर की पहचान अब पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी), एमआरआई स्कैन और बायोप्सी से नहीं बल्कि मुंह के अंदर मौजूद लाल या सफेद धब्बों, घावों और गांठों की डिजिटल तस्वीर से भी हो सकेगी। दरअसल, एम्स दिल्ली और आईआईएससी बेंगलुरु ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म विकसित किया है जिसके माध्यम से मुख कैंसर के लक्षण वाले मरीज को न सिर्फ अपने रोग की सटीक जानकारी तुरंत मिल सकेगी। बल्कि कैंसर की पहचान होने पर विशेषज्ञ उपचार के विकल्प मौके पर ही मिल सकेंगे।

एम्स दिल्ली के ओरल पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ दीपिका मिश्रा ने रविवार को बताया कि इस प्लेटफॉर्म का नाम मिडास या एमआईडीएएस रखा गया है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित ओरल कैंसर स्क्रीनिंग टूल है जो इंटरनेट के जरिये कंप्यूटर और स्मार्ट फोन पर भी काम करता है। उन्होंने कहा, इस प्लेटफॉर्म से जहां शुरुआती स्तर पर ही मुख कैंसर की पहचान हो सकेगी। वहीं, उपचार की प्रक्रिया भी तुरंत शुरू की जा सकेगी और मरीज के जीवन की रक्षा आसानी से हो सकेगी।

डॉ. दीपिका मिश्रा ने कहा, ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के बाद मुख कैंसर भारत का तीसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग बना हुआ है। वहीं, मुख कैंसर से पीड़ित पुरुषों की सर्वाधिक बड़ी संख्या भारत में होने के कारण भारत पहले नंबर पर पहुंच गया है जो काफी चिंताजनक स्थिति है। इससे निपटने के लिए बड़े पैमाने पर मुख कैंसर स्क्रींनिंग की जरुरत है जिसे मिडास की मदद से संपन्न किया जा सकता है। इसके लिए हमने देशभर के निजी और सरकारी अस्पतालों से मुख कैंसर की लगभग 50 हजार तस्वीरों को एकत्र करके मिडास पर अपलोड किया है।

डॉ. दीपिका मिश्रा के मुताबिक फिलहाल, मिडास प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध मुख कैंसर डेटाबेस का इस्तेमाल केवल डेंटल मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और छात्र ही अपने संदिग्ध मरीजों के लिए कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि यह तमाम बीमारियों का राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने की प्रक्रिया का हिस्सा है। जल्द ही मिडास पर ब्रेन ट्यूमर जांच की सुविधा उपलब्ध होगी। डॉ मिश्रा ने कहा इस संबंध में यूरोप और अमेरिका में अभी गाइडलाइन्स ही लाई गई है जबकि भारत ने मिडास प्लेटफॉर्म विकसित करके शुरुआत भी कर दी है। अब इस संबंध में डीपीडीपी अधिनियम, 2023 के अनुसार दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं।

एम्स निदेशक ने लांच किया मिडास प्लेटफॉर्म
एम्स निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने ‘मिडास’ प्लेटफॉर्म शनिवार को लांच किया। इस दौरान उनके साथ डीन रिसर्च प्रोफेसर जेएस तितियाल और आईआईटी जम्मू के निदेशक प्रोफेसर मनोज सिंह गौर के अलावा साइबर लॉ यूनिवर्सिटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान ‘डीपीडीपीए 2023: हेल्थकेयर रिसर्च ‘ नामक एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें स्वास्थ्य पेशेवरों को डीपीडीपीए, 2023 और भारत में स्वास्थ्य देखभाल अनुसंधान पर इसके प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई।

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