भारत

एम्स में अब डॉक्टर नहीं फ्लेबोटोमिस्ट लेंगे मरीज का ब्लड सैंपल

-फ्लेबोटोमी सेवाओं के लिए ओउटसोर्स के जरिये की जाएगी भर्ती

नई दिल्ली, 12 मई : एम्स दिल्ली के वार्ड और इमरजेंसी विभाग में मरीजों के रोगों की जांच के लिए ब्लड सैंपल लेने का काम अब रेजिडेंट डॉक्टर नहीं फ्लेबोटोमिस्ट करेंगे। इसके लिए एम्स प्रशासन ने आउटसोर्स कंपनी के जरिये फ्लेबोटोमिस्ट की भर्ती करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि वार्ड में फ्लेबोटोमिस्ट की अनुपस्थिति और आकस्मिक परिस्थितियों के दौरान रेजिडेंट डॉक्टर और नर्स को ही मरीजों के ब्लड सैंपल लेने होंगे।

दरअसल, एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार ने निदेशक से मांग की थी कि मरीजों के ब्लड सैंपल एकत्र करने और उनके क्यू आर कोड जेनेरेट करने में रेजिडेंट डॉक्टरों को काफी वक़्त लग जाता है जिसके चलते वह रिसर्च जैसे जरुरी काम नहीं कर पाते हैं। इससे उनकी पढ़ाई बाधित होती है। उन्होंने कहा एक मरीज के ब्लड सैंपल और अन्य कार्रवाई में करीब आठ मिनट लगते हैं। ऐसे में औसतन 10 मरीजों के हिसाब 80 मिनट रोज खर्च हो जाते हैं जो सप्ताह में करीब 10 घंटे से ज्यादा बनते हैं। अगर यह वक़्त डॉक्टरों को मिल जाए तो वह अपनी रिसर्च नियमित रूप से जारी रख सकेंगे। इसके बाद एम्स निदेशक ने उक्त आशय का आदेश जारी कर दिया।

कौन होते हैं फ्लेबोटोमिस्ट
फ्लेबोटोमिस्ट को हिन्दी में ब्लड बैंक तकनीशियन कहते हैं। फ्लेबोटोमी तकनीशियन, मेडिकल फ़ील्ड में आते हैं और आमतौर पर ब्लड बैंकों और मेडिकल लैब में काम करते हैं। इनका काम डोनर से खून इकट्ठा करना, खून को लेबल करना, खून को लैब में जांचना, खून का रिकॉर्ड तैयार करना होता है।

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