Ahana Amroha case: “फास्ट फूड से नहीं होती मौत! एम्स के डॉक्टरों ने बताया- अहाना की मौत गंभीर बीमारियों और जटिलताओं की वजह से”

Ahana Amroha case: “फास्ट फूड से नहीं होती मौत! एम्स के डॉक्टरों ने बताया- अहाना की मौत गंभीर बीमारियों और जटिलताओं की वजह से”
नई दिल्ली, 24 दिसम्बर: उत्तर प्रदेश के अमरोहा की रहने वाली 11वीं कक्षा की छात्रा अहाना की अचानक मौत ने हाल ही में देश में चर्चा पैदा कर दी। सोशल मीडिया पर यह दावा फैलाया गया कि लंबे समय तक पिज्जा, बर्गर, पास्ता और अन्य फास्ट फूड खाने की आदत के कारण उसकी जान चली गई। हालांकि, एम्स दिल्ली और अन्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि फास्ट फूड से सीधे मौत नहीं होती।
एम्स के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अहाना को 19 दिसंबर को एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर सुनील चुंबर की निगरानी में उसका इलाज चल रहा था। विशेषज्ञों ने बताया कि छात्रा पहले से ही गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थी। उसे टाइफाइड था और आंतें आपस में चिपक चुकी थीं, जिसमें छेद भी हो गया था। इसके अलावा, उसे टीबी और अन्य जटिलताएं भी थीं। 21 दिसंबर को उसकी मृत्यु कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई।
अहाना के परिजन साजिद खान ने बताया कि एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें पूरी तरह स्थिति समझाई और इलाज में कोई कमी नहीं थी। इलाज के दौरान छात्रा रिकवर भी कर रही थी, लेकिन अचानक उसकी हालत बिगड़ गई। परिजन मानते हैं कि लंबे समय तक फास्ट फूड खाने से उसकी सेहत प्रभावित हुई थी, लेकिन डॉक्टरों ने इसे मौत का कारण नहीं बताया।
फास्ट फूड और आंत फटने के संबंध में विशेषज्ञों ने कहा कि आंत फटने का सबसे आम कारण रुकावट या गंभीर संक्रमण होता है। अत्यधिक फास्ट और प्रोसेस्ड फूड पाचन को धीमा कर सकता है, जिससे गैस, एसिड रिफ्लक्स, मोटापा, कुपोषण और पाचन तंत्र की समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इसे सीधे मौत का कारण नहीं माना जा सकता।
अहाना की मौत से जुड़ी सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों को स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भ्रामक बताया। उनका कहना है कि मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट और पहले से मौजूद गंभीर बीमारियां थीं। फास्ट फूड को सीधे मौत से जोड़ना चिकित्सकीय रूप से गलत है।
परिवार ने भी स्वीकार किया कि अहाना को पहले आंतों में गंभीर समस्या हुई थी। 3 दिसंबर की रात मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में उसकी आंत की सर्जरी कराई गई थी। डॉक्टरों ने बताया कि आंत में फ्लोट था और आंत फट चुकी थी। सीटी स्कैन में इसकी पुष्टि हुई। करीब 6 लीटर फ्लोट निकाला गया और छात्रा 7-8 दिन तक आईसीयू में रही।
इस पूरे मामले ने यह स्पष्ट कर दिया कि फास्ट फूड के सेवन से सीधे मौत नहीं होती। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं में हमेशा गंभीर संक्रमण, पहले से मौजूद बीमारियां और मेडिकल जटिलताएं मुख्य कारण होती हैं, न कि जंक फूड।
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