Air pollution Delhi : वायु प्रदूषण बच्चों के लिए बन रहा गंभीर खतरा

Air pollution Delhi : वायु प्रदूषण बच्चों के लिए बन रहा गंभीर खतरा
बाल मरीजों की संख्या में 25% तक इजाफा
दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण ने बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। प्रदूषण के कारण सरकारी और निजी अस्पतालों की बाल चिकित्सा ओपीडी में 25% तक का इजाफा देखा गया है। बच्चों में एलर्जी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी श्वसन संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
स्मोग और प्रदूषण का कारण
सर्दियों में कूड़ा जलाना, धूल के कण और धुंध मिलकर स्मोग का निर्माण करते हैं। इस स्मोग में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसें शामिल होती हैं। पीएम 2.5 सबसे खतरनाक हैं, क्योंकि ये फेफड़ों में गहराई तक पहुँच सकते हैं और हृदय रोग, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
बच्चों पर अधिक प्रभाव
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के बाल श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. कमल सिंघल के अनुसार, प्रदूषित हवा बच्चों के लिए वयस्कों की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं:
- बच्चों की श्वसन क्रिया तेज होती है, जिससे अधिक मात्रा में प्रदूषण शरीर में प्रवेश करता है।
- प्रदूषण जमीन के पास ज्यादा रहता है, जो छोटे बच्चों को सीधे प्रभावित करता है।
- बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती।
सावधानी और खेल-कूद
डॉ. सिंघल ने बताया कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए खेल-कूद आवश्यक है। हालांकि, प्रदूषित हवा में सुबह और शाम खेलने से बचें और बच्चों को दोपहर में धूप में खेलने के लिए भेजें। धूप में स्मोग ऊपर उठ जाता है, जिससे स्वास्थ्य पर कम प्रभाव पड़ता है।
बचाव के उपाय
- घर के दरवाजे और खिड़कियां सुबह-शाम बंद रखें, दोपहर में खोलें।
- घर में स्ट्रांग परफ्यूम, हुक्का, बीड़ी, सिगरेट या धूपबत्ती का प्रयोग न करें।
- इनडोर प्लांट लगाएं, जो ऑक्सीजन अधिक रिलीज करें।
- घर से बाहर जाने पर उच्च गुणवत्ता वाला मास्क पहनें।
सर्दियों में कूड़ा और जीवाश्म ईंधन जलाने से धुआं ऊपर उठता है। सतह से उठती वाष्प जब आकाश तक नहीं पहुँच पाती, तो यह धुंध बन जाती है। धुआं और धुंध मिलकर स्मोग का निर्माण करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
धरती की सतह से निकलने वाली गर्मी ठंडी होकर हवा के नमी से संपर्क करती है। यह संघनित होकर छोटी बूंदों में बदल जाती है, जिसे ओस या धुंध कहते हैं। ओस मुख्य रूप से रात में तब बनती है जब तापमान कम हो जाता है और हवा जलवाष्प से संतृप्त हो जाती है।
‘कोटा फैक्ट्री’ सीजन 3: जितेंद्र कुमार की दमदार ड्रामा नेटफ्लिक्स पर आएगी, रिलीज डेट सामने आई



