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AI Eye Test JIMS: ग्रेटर नोएडा के जिम्स में एआई से डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच, दिल्ली जाने की झंझट खत्म

AI Eye Test JIMS: ग्रेटर नोएडा के जिम्स में एआई से डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच, दिल्ली जाने की झंझट खत्म

अब जिम्स में ही होगी एआई आधारित आंखों की जांच
ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में अब मरीजों को डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच के लिए दिल्ली या निजी अस्पतालों में भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नेत्ररोग विभाग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित जांच सुविधा शुरू हो गई है। इस नई तकनीक से रेटिना की स्थिति का सटीक पता लगाकर मरीज को समय पर और बेहतर उपचार दिया जा सकेगा।

एम्स दिल्ली के सहयोग से शुरू हुई नई सुविधा
जिम्स ने एम्स नई दिल्ली के सहयोग से डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच और उसकी स्टेजिंग के लिए एआई तकनीक लागू की है। पहले यहां फंडस फोटोग्राफी के माध्यम से रेटिना की फोटो लेकर डॉक्टर जांच करते थे, लेकिन अब वही प्रक्रिया एआई आधारित सॉफ्टवेयर से होगी। यह सॉफ्टवेयर फोटो देखकर स्वतः बताएगा कि मरीज को उपचार की आवश्यकता है या नहीं, और अगली जांच कब करानी है।

कम समय और कम खर्च में सटीक रिपोर्ट
इस एआई जांच से न केवल मरीजों का समय बचेगा, बल्कि जांच अधिक सटीक होगी। पहले मरीजों को जांच के लिए दिल्ली एम्स या निजी अस्पतालों में जाना पड़ता था, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती थी। अब जिम्स में यह सुविधा शुरू होने से मरीजों को 20 से 30 मिनट तक की समय बचत होगी और जांच का खर्च भी काफी कम रहेगा।

डॉ. कृष्ण कुलदीप गुप्ता का कहना
नेत्ररोग विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुलदीप गुप्ता ने बताया, “फंडस फोटोग्राफी में एआई की मदद से डायबिटिक रेटिनोपैथी की जांच शुरू होने से मरीज और डॉक्टर दोनों का समय बचेगा। इससे उपचार की सटीकता भी बढ़ेगी और मरीजों को बेहतर परिणाम मिलेंगे।”

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