
नई दिल्ली, 24 सितम्बर : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने देश के पहले दंत चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र (डीटीआईएच) का उद्घाटन बुधवार को किया। इसका उद्देश्य स्वदेशी दंत चिकित्सा उपकरणों और सामग्रियों के नवाचार के लिए शोध और विकास को बढ़ावा देना है। ताकि आयात पर निर्भरता और लागत को कम करने के साथ दंत चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता स्थिति को मजबूत बनाया जा सके।
डॉ. सिंह ने कहा, यह केंद्र स्वदेशी स्वास्थ्य सेवा समाधानों के लिए भारत की बढ़ती क्षमता का प्रमाण है। यह केंद्र नवाचार और समावेशिता के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा वितरण में बदलाव लाने के भारत सरकार के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। इस केंद्र की स्थापना मौलाना आजाद दंत चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एमएआईडीएस), नई दिल्ली में की गई है जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से विकसित किया गया है।
डीएसटी के सचिव डॉ. अभय करंदीकर ने कहा कि डीटीआईएच देश में दंत चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवाचार को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जबकि आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने प्रौद्योगिकी विकास और सत्यापन को सक्षम बनाने में डीएसटी और आईसीएमआर की पूरक भूमिका पर प्रकाश डाला। डीटीआईएच की प्रमुख अन्वेषक डॉ. संगीता तलवार ने कहा, भारत लंबे समय से अपने लगभग 85% दंत चिकित्सा उत्पादों के लिए आयात पर निर्भर रहा है। इससे न केवल उपचार महंगे हो गए, बल्कि हमारी आबादी के लिए उनकी उपयुक्तता भी सीमित हो गई। इस अंतर को पाटने और यह सुनिश्चित करने के लिए हब की स्थापना की गई थी कि नवाचार भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप हों। एमएआईडीएस की निदेशक-प्रधानाचार्य डॉ. अरुणदीप कौर लांबा ने कहा, यह भारत का पहला डेंटल टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब है, जो यह सुनिश्चित करता है कि नवाचार बेहतर रोगी देखभाल में सीधे परिवर्तित हों। इस अवसर पर डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार और डॉ. रुचिका आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।