रिपोर्ट :कोमल रमोला
चंडीगढ़, 15 अगस्त – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज बड़ी सौगात देते हुए मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के तहत 35 हजार दूध उत्पादकों को अप्रैल, मई और जून, 2024 के लिए 15 करोड़ 59 लाख रुपये की सब्सिडी जारी की है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत हरियाणा में घरों तक दूध सप्लाई करने वालों का बीमा प्रीमियम राज्य सरकार वहन करेगी।
मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास संत कबीर कुटीर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रदेशभर से आए दुग्ध उत्पादकों को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के तहत वर्ष 2022-23 में 32 करोड़ 51 लाख रुपये तथा वर्ष 2023-24 में 39 करोड़ 37 लाख रुपये की सब्सिडी दी गई।
उन्होंने कहा कि इसी योजना को और आगे बढ़ाते हुए सरकार ने वर्ष 2024-25 के दौरान सब्सिडी राशि की सीमा को 6 महीने से बढ़ा कर एक साल तक कर दिया है और अंत्योदय परिवारों के सदस्यों की प्रोत्साहन राशि 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति लीटर कर दी है। यह राशि दुग्ध संघों द्वारा प्रदान की जा रही दूध की कीमत के अतिरिक्त होगी। इसलिए इस वित्त वर्ष में 100 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा राज्य अपनी मुर्राह नस्ल की भैंस के लिए विश्व प्रसिद्ध है। हरियाणा नस्ल की गाय की अपनी अलग पहचान है। हम हरियाणा में दूध उत्पादन को एक उद्योग के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में हरियाणा देश में तीसरे स्थान पर है। हमारी प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 1098 मिली लीटर है, जोकि देश की प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 459 मिली लीटर से दोगुना है। प्रदेश की इस उपलब्धि में दुग्ध उत्पादकों का बड़ा योगदान है।
280 करोड़ रुपये की लागत से रेवाड़ी के गांव बिंदावास में नया दूध संयंत्र हो रहा स्थापित
उन्होंने कहा कि हरियाणा में सहकारी दुग्ध समितियों का जाल बिछा हुआ है। प्रदेश में इस समय दूध की खरीद के लिए 3300 सहकारी दुग्ध समितियां हैं। इसके अलावा, दूध की प्रोसेसिंग के लिए 6 मिल्क प्लांट हैं, जिनकी दुग्ध प्रोसेसिंग की दैनिक क्षमता 9.45 लाख लीटर है। 280 करोड़ रुपये की लागत से जिला रेवाड़ी के गांव बिंदावास में एक नया दूध संयंत्र स्थापित कर रहे हैं। इस संयंत्र की प्रतिदिन दूध प्रसंस्करण क्षमता 5 लाख लीटर होगी।
उन्होंने कहा कि सहकारी आंदोलन का देश में श्वेत क्रांति लाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हरियाणा में वीटा का उदाहरण हमारे सामने है। वीटा के उत्पाद लगभग 300 वितरकों, विभिन्न संस्थानों आदि के माध्यम से बेचे जाते हैं। इसके बूथ जगह-जगह खुले हैं और अनेक युवाओं को रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि छोटे किसानों तथा ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को अपना काम शुरू करने के लिए हाइटैक व मिनी डेयरी स्कीम चलाई जा रही है। इसका उद्देश्य युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के साथ-साथ दूध का उत्पादन बढ़ाना है। इस स्कीम के तहत 10 दुधारू पशुओं तक की मिनी डेयरी खोलने के लिए पशु की लागत पर 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। अनुसूचित जाति के लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने की स्कीम के तहत दो या तीन पशुओं की डेयरी खोलने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा, देसी नस्ल की 3 व 5 गायों की डेयरी इकाई लगाने वाले पशुपालकों को गायों के खरीद मूल्य पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए देसी गाय रखने वाले किसान को प्रति गाय 30 हजार रुपये वार्षिक अनुदान देने का प्रावधान किया है। इसके अलावा, 20 या इससे अधिक दुधारू पशुओं की हाइटैक डेयरी स्थापित करने के लिए ब्याज में छूट दी जाती है। इस योजना के तहत वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 13,480 डेयरियां स्थापित हुई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन के लिए पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई हुई है। इसके तहत पशुपालकों को पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड दिये जाते हैं। इस कार्ड से किसी भी पशुपालक को 1 लाख 60 हजार रुपये का ऋण बिना किसी कोलेटरल सिक्योरिटी के मिल जाता है।
दुग्ध उत्पादकों के लिए सुविधाएं
श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सहकारी दुग्ध समितियों के दुग्ध उत्पादकों के बच्चों के लिए छात्रवृति योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत 10वीं और 12वीं कक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को क्रमशः 2100 रुपये व 5100 रुपये की राशि छात्रवृत्ति के रूप में दी जाती है। अब तक 5140 दुग्ध उत्पादकों के बच्चों को 1 करोड़ 86 लाख 24 हजार रुपये की राशि छात्रवृत्ति के रूप में प्रदान की गई है। इसी प्रकार, सहकारी दुग्ध समितियों के दुग्ध उत्पादकों की बेटियों की शादी के लिए कन्यादान योजना के तहत बेटी की शादी पर 1100 रुपये की राशि कन्यादान के रूप में दी जाती है। अब तक 2,829 दुग्ध उत्पादकों की बेटियों की शादी पर 30 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि पशुपालन को जोखिम मुक्त करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय सामूहिक पशुधन बीमा योजना शुरू की है। इस स्कीम के तहत कोई भी पशुपालक अपने बड़े पशु का दुग्ध उत्पादन क्षमता अनुसार 100 से 300 रुपये और छोटे पशु का 25 रुपये प्रीमियम देकर बीमा करवा सकता है। अनुसूचित जातियों के पशुपालकों के पशुओं का बीमा मुफ्त किया जाता है। इस स्कीम के तहत 8 लाख 52 हजार पशुओं का बीमा किया गया है। इसके अलावा, दुर्घटना बीमा योजना के तहत सहकारी दुग्ध समितियों के दुग्ध उत्पादों का 5 लाख रुपये प्रति व्यक्ति दुर्घटना बीमा किया जाता है। अब इस राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। इस योजना के तहत अब तक 75 व्यक्तियों को 4 करोड़ 10 लाख रुपये की बीमा राशि का भुगतान किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार गाय की देसी नस्लों के संरक्षण एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। देसी गायों की नस्ल के सुधार हेतु राज्य में 37 करोड़ रुपये की लागत से 4 गोवंश संवर्धन एवं अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। ये केंद्र क्योड़क जिला कैथल, लकड़िया जिला झज्जर, उचानी जिला करनाल और महेंद्रगढ़ में स्थापित हो रहे हैं।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की अतिरिक्त प्रधान सचिव श्रीमती आशिमा बराड़, हरियाणा डेयरी विकास सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक श्री रोहित यादव, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार श्री भारत भूषण भारती, पूर्व विधायक श्री पवन सैनी, दूध उत्पादक, दुग्ध सहकारी समितियों से जुड़े प्रतिनिधि और सदस्यगण मौजूद है।