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Delhi News : कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर लेखक राकेश शर्मा ने की कड़ी निंदा, बोले” इस घटना ने 1990 के दशक की कश्मीर की आतंकी घटनाओं और कश्मीरी पंडितों के कश्मीर से निष्कासन की याद ताजा की

22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर देश के लोगों...

Delhi News : 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर देश के लोगों में रोष व्याप्त है। वहीं इस घटना को लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। इसी को लेकर लेखक राकेश शर्मा ने भी घटना की कड़ी निंदा की है और कहा है कि दिल और दिमाग बार-बार सिहर उठ रहा है यह सोचकर भी की जिन 27 सैलानियों की पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने निर्मम हत्या कर दी, उनके घर वालों ने कितना हंसी खुशी से इन्हे विदा किया होगा की काश्मीर की वादियों में सैर सपाटा कर रिश्तेदार खुशगवार यादगारें लेकर वापस आकर उनसे साझा करेंगे। लेकिन अब इस दुर्दम्य घटना के बाद उनके शवों का रोते बिलखते सगे संबंधी इंतज़ार कर रहे हैं।

अंधकारमय जीवन कैसे कटेगा

उन्होंने कहा अब जीवन की अंतिम सांस तक सिर्फ़ खोए गए परिवारजन उनकी यादों में ही रहेंगे, उनके अंतिम शब्द उनके कानों में गुंजायमान रहेंगे। अब बाक़ी का अंधकारमय जीवन कैसे कटेगा कोई नहीं जानता, इस दु:ख को महसूस करने के लिए मानवीय संवेदनाओं से भरे हृदयों को सिर्फ़ इतना ही सोचना है की यदि यह हमारे परिवार के होते तो हमारे घर में कैसा कोहराम हो रहा होता। लिखते हुए उन्होंने कहा कि कानपुर के एक परिवार की बच्ची जो अपने पति के साथ पहलगाम हुई हुई थी, उसके सामने ही उसके पति के सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उसकी तो शादी अभी दो महीने पहले फ़रवरी में ही हुई थी। उसने जब इन हृदयविहीन आतंकियों से कहा की “मुझे भी मार दो” तो उन्होंने कहा नहीं तुम जाकर मोदी को यह बताओ। इस घटना के बाद लड़की और लड़के के परिवार का क्या हाल हो रहा होगा समझ से परे है। ऐसी ही व्यथा कथा बाकी मृतकों के परिवारों की भी है।

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते थे

उन्होंने कहा इस घटना ने 1990 के दशक की कश्मीर की आतंकी घटनाओं और कश्मीरी पंडितों के कश्मीर से निष्कासन की याद ताजा कर दी है। जब हिंदुओं को चुन चुन कर मारा जाता था, उन्हें कश्मीर छोड़ने को कहा जाता था, हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाता था, हिंदुओं के घर, दुकान जलाए जाते थे, भारत विरोधी और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते थे, सेना पर पत्थरबाजी होती थी। पहलगाम की घटना भी कुछ कुछ उसी की पुनरावृत्ति दिख रही है, क्योंकि कल की घटना में भी धर्म, नाम पूछकर, कपड़े उतरवाकर लिंग देखकर मारा गया और भी पक्का करने को की कहीं यह मुस्लिम तो नहीं है कलमा पढ़ने को भी कहा गया। लग रहा है की भारत में हिंदू होना ही अपराध है। जहां देखो वहां हिंदुओं पर अत्याचार, उनकी हत्या की जा रही है। चाहें पहलगाम हो , मुर्शिदाबाद हो या 24 परगना।

कितनों की गोद सुनी हो गई

राकेश शर्मा ने कहा देश के पीएम मोदी सऊदी अरब की सरकारी यात्रा बीच में ही छोड़कर आ गए, लेकिन निर्दोष और निरीह सैलानी जिनकी निर्मम हत्या की गई वह अब कभी नहीं आएंगे। अब इस घटना का जितना मर्ज़ी पोस्टमार्टम कर लो, जाने वाले कभी नहीं आएंगे। इस घटना में किसी का बेटा, किसी का पति, किसी का पिता असमय ही गोलोक पहुंच दिए गए। कोई घर का अकेला चिराग था, कोई अकेला कमाने वाला रहा होगा, कितनी विधवा हो गई, कितनों की गोद सुनी हो गई, कितने पिता के प्यार से वंचित हो गए। आज आतंकवाद से दुनिया दहली हुई है। सभी देश किसी ना किसी रूप से इस बीमारी से ग्रसित हैं और विभिन्न मंचों पर आतंकवाद को समाप्त करने का संकल्प भी लेते है। लेकिन यह ऐसी नागफनी है जो बार बार उग आती है।

जहरीले सर्प को दूध पिलाते रहेंगे

उन्होंने कहा कि पूरा विश्व जब तक आतंक का बीजनाश करने का संकल्प नहीं लेता तब तक पाकिस्तान जैसे देश आतंकवाद जैसे जहरीले सर्प को दूध पिलाते रहेंगे। आतंकवादियों के मंसूबे जब तक समाप्त नहीं होते वह नए-नए रूपों में अवतरित होता ही रहता है। कश्मीर को ही लें मोदी सरकार ने कश्मीर में 30 साल के आतंकवाद को धारा 370 हटाने के बाद काफ़ी हद तक सीमित कर दिया था। कश्मीर में स्थिति सामान्य दिखने लगी थी, अभी पिछली कश्मीर यात्रा में अमित शाह ने कहा था कि अब कश्मीर में आतंकवाद इतिहास हो गया है। शायद यह बात इन पाकिस्तानी आतंकवादियों को रास नहीं आई और उन्होंने अपने आकाओं को खुश करने के लिए पहलगाम की घटना को अंजाम दे दिया। इस आतंकवादी घटना के पीछे और भी कई कारण दिखाई पड़ते हैं जैसे कश्मीर में तेज़ी से बढ़ती सैलानियों की संख्या,जिससे वहां के नवयुवकों को रोजगार मिल रहा था।

दुकानदारों की इससे आमदनी बढ़ेगी

उन्होंने कहा ज्ञातव्य हो कि 2018 में कश्मीर में सैलानियों की संख्या आठ लाख थी जो 2019 में धारा 370 हटने के बाद 2024 में बड़कर 34 लाख हो गई (लगभग 350 प्रतिशत की वृद्धि) जो इस साल और अधिक होने की उम्मीद थी। आतंकियों का दुख था कि होटल, टैक्सी, रेस्टोरेंट, दुकानदारों की इससे आमदनी बढ़ेगी और स्थानीय लोग आतंक का विरोध करेंगे। अमेरिकी उपराष्ट्रपति वैन्स की यात्रा से भी इसे जोड़ा जा रहा है, मोदी की सऊदी यात्रा से भी आतंकवादी दुखी थे और अंत में इनका उद्देश्य भारत को असहज करने का है। इस हमले को इजरायल में हुए हमास द्वारा 2023 के कायराना हमले के लेंस से भी देखा जा रहा है। वहां भी एक मनोरंजन कार्यक्रम का आनंद लेते 217 निर्दोषों को हमास के आतंकवादियों ने भून दिया था। लेकिन इजरायल एक छोटा सा दृढ़ संकल्पित राष्ट्र है। उन्होंने पिछले डेढ़ साल में हमास की कमर ही तोड़ दी है, घुटनों पर ला दिया है और गाजा पट्टी को ही श्मशान बना दिया। उन्होंने अपने आत्म सम्मान के सामने किसी की भी परवाह ना करते हुए अपने लक्ष्य को पूरा किया है।

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