
New Delhi : (भाविन वोरा) 3 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। आजकल अलग-अलग बीमारियों या वायरस के कारण शरीर के कौन से अंग प्रभावित होंगे, यह मेडिकल साइंस के लिए भी एक चुनौती बन चुका है। ऐसे में हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने शरीर की खुद देखभाल करे और प्राकृतिक रूप से अपने अंगों को स्वस्थ बनाए रखे, यही सीख और आग्रह अंगदान अभियान के प्रणेता और इस क्षेत्र में भीष्म पितामह माने जाने वाले दिलीपभाई देशमुख ने दिया है।
परिवार के सदस्य तत्परता दिखाएं
अंगदान दिवस के पूर्व विशेष बातचीत में दिलीपभाई ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर पारिवारिक सदस्यों द्वारा अंगदान करना आज के भारत की आवश्यकता है। लेकिन उससे पहले यह ज़रूरी है कि हम खुद इस बात की चिंता करें कि हमारे अंग स्वस्थ रहें। अगर हमारी किडनी, लीवर, हृदय और अन्य अंग स्वस्थ रहेंगे, तो हमें किसी और से अंग लेने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। और अगर परिवार के सभी सदस्यों के अंग ठीक तरह से कार्य कर रहे होंगे, तो किसी और को अंग देने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, अधिक तेल, चीनी वाले खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक चीजों से दूर रहना हितकर है।
अंगदान के बाद भी जीवन का आनंद लिया जा सकता है
खुद भी किसी और का लीवर प्राप्त कर चुके दिलीपभाई ने कहा कि यदि परिवार में ज़रूरत पड़े तो लीवर या किडनी जैसे अंगों का दान अवश्य करना चाहिए। उनके अनुसार, ऐसे कई परिवारिक उदाहरण हैं जहां एक व्यक्ति ने दूसरे को अंगदान किया और वे 25 वर्षों से भी अधिक समय तक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में पहले साल में सफलता का अनुपात 95%, दूसरे साल में 80% रहता है, और उसके बाद यह इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज स्वयं कितनी सावधानी रखता है।
2019 से अब तक गुजरात में 2071 अंगदान
अब तक गुजरात में सबसे ज़्यादा किडनी ट्रांसप्लांट के 1148 मामले दर्ज हुए हैं। 2019 से अब तक कुल 2071 अंगदान हुए हैं। बीते वर्ष गुजरात में 446 किडनी ट्रांसप्लांट हुए, जो पूरे भारत में सबसे अधिक हैं। इसके अलावा लीवर के 575, हृदय के 149 और फेफड़े के 138 ट्रांसप्लांट हुए हैं। ये आँकड़े आयुष्मान योजना के तहत सरकारी अस्पतालों से लिए गए हैं। देश में तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में सबसे अधिक अंगदान होते हैं। अंगदान के मामले में गुजरात का स्थान औसतन चौथा है, जबकि उत्तर भारत में चंडीगढ़ पहले स्थान पर है।
अंगदान पर कोई धार्मिक बंधन नहीं
धार्मिक विश्वासों से ऊपर उठकर ज़रूरत के समय अंगदान के लिए आगे आना ज़रूरी है। दिलीपभाई ने बताया कि ऋषि दधीचि, भगवान गणेश और गुरु दत्तात्रेय भी अंगदान के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि न केवल हिंदू धर्म, बल्कि मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध जैसे धर्मों के अनुयायियों ने भी अंगदान को स्वीकार किया है। अंगदान कोई वर्जित विषय नहीं है। अंगदान के बाद सही देखभाल करते हुए व्यायाम, वॉकिंग आदि जारी रखने की उन्होंने सलाह दी।