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ग्रेटर नोएडा में महिलाओं के साथ 33 लाख की ठगी, एनजीओ के नाम पर 2250 महिलाएं बनीं शिकार

ग्रेटर नोएडा में महिलाओं के साथ 33 लाख की ठगी, एनजीओ के नाम पर 2250 महिलाएं बनीं शिकार

नोएडा। ग्रेटर नोएडा से महिलाओं के साथ बड़े पैमाने पर ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जारचा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ततारपुर गांव की एक महिला ने करीब 2,250 महिलाओं से 33 लाख रुपये की ठगी का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। यह ठगी एक कथित महिला उत्थान समिति के नाम पर की गई। जिसमें महिलाओं को लघु उद्योग के नाम पर आर्थिक सहायता देने का झांसा दिया गया था।

पीड़िता रेखा रानी ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि चौना गांव निवासी फतेह सिंह ने उसकी मुलाकात बागपत जिले के जितेंद्र, रविंद्र और सौरभ जैन से कराई। इन सभी ने खुद को एक एनजीओ चलाने वाली महिला उत्थान समिति का सदस्य बताया और दावा किया कि उनकी समिति भारत सरकार से रजिस्टर्ड है। साथ में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य कर रही है।

कैसे की ठगी

इन लोगों ने बताया कि वे एक योजना के तहत महिलाओं को लघु उद्योग स्थापित करने के लिए 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेंगे। इसके लिए प्रत्येक महिला को समिति का सदस्य बनना जरूरी होगा। जिसके लिए 1900 रुपये की सदस्यता फीस तय की गई। योजना में बताया गया कि हर समूह में 14 महिलाएं शामिल होंगी और उन्हें 167 रुपये की मासिक किस्त जमा करनी होगी। जिसके बाद उन्हें उद्योग लगाने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी।

2250 महिलाओं से वसूले गए 33 लाख रुपये

रेखा रानी के मुताबिक, इस योजना के प्रचार-प्रसार और समिति के नाम पर विश्वास दिलाने के बाद क्षेत्र की करीब 2250 महिलाओं को सदस्य बनाया गया और सभी से सदस्यता शुल्क के रूप में लगभग 33 लाख रुपये इकट्ठा कर लिए गए। लेकिन तय समय के बाद भी किसी महिला को न तो उद्योग शुरू करने के लिए पैसा मिला और न ही समिति के सदस्यों से संपर्क हो सका।

कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

जब महिलाओं को धोखाधड़ी का एहसास हुआ तो उन्होंने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन पुलिस की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई न होते देख रेखा रानी ने कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद अदालत के आदेश पर जारचा थाने में एफआईआर दर्ज की गई और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

कई सवाल खड़े

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामला गंभीर है और इसकी तह तक जाने के लिए सभी संबंधित व्यक्तियों की भूमिका की जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जिन लोगों ने स्वयं को समिति का सदस्य बताया कि उन्होंने किसी तरह की वैध रजिस्ट्रेशन डिटेल्स नहीं दी हैं।

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