
Vat Purnima 2025 व्रत 10 जून को रखा जाएगा। जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, क्या करें और क्या न करें। यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।
Vat Purnima 2025: व्रत 10 जून को, जानें शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व
Vat Purnima 2025 इस वर्ष मंगलवार, 10 जून को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह 11:35 बजे से हो रही है, जो 11 जून को दोपहर 1:13 बजे तक रहेगी। ऐसे में व्रत का संकल्प 10 जून को लिया जाएगा।
Vat Purnima 2025: वट पूर्णिमा व्रत का महत्व
वट पूर्णिमा व्रत हिंदू धर्म में नारी शक्ति, प्रेम, त्याग और पति की दीर्घायु का प्रतीक है। यह व्रत महिलाएं निर्जल रहकर करती हैं और वट वृक्ष (बरगद) की पूजा करती हैं। मान्यता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इस दिन सावित्री और सत्यवान की कथा का पाठ किया जाता है, जो सतीत्व और अडिग प्रेम का प्रतीक है।
पूजा विधि: कैसे करें वट पूर्णिमा की पूजा?
व्रत की तैयारी
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एक दिन पूर्व सात्विक भोजन करें और मन को शांत रखें।
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व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
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व्रत को निर्जला उपवास के रूप में रखा जाता है।
पूजा का विधान
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वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करें।
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वृक्ष को जल, दूध, हल्दी, कुमकुम, चावल और फूल अर्पित करें।
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वृक्ष की सात बार लाल धागे से परिक्रमा करें।
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सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें और सुनें।
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पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।
Vat Purnima 2025: क्या करें वट पूर्णिमा के दिन?
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व्रत का पालन आस्था और श्रद्धा से करें।
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पति को तिलक करें और चरण स्पर्श करें।
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पूजा के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या फल का दान करें।
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पवित्रता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
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व्रत के दौरान सोलह श्रृंगार करें।
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व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में करें।
क्या न करें वट पूर्णिमा पर? ❌
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व्रत के दिन बाल न धोएं और कटवाएं भी नहीं।
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तामसिक भोजन का सेवन न करें।
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झूठ बोलना, क्रोध और विवाद से बचें।
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मानसिक रूप से नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
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पूजा में अपवित्रता या लापरवाही न बरतें।
Vat Purnima 2025 का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन महिलाओं को अपने प्यार, विश्वास और आत्मबल को उजागर करने का अवसर देता है। यदि श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत रखा जाए, तो जीवन में सकारात्मकता और सुख-शांति अवश्य आती है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित है। किसी भी निर्णय से पहले स्थानीय परंपराओं या विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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