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UP Excise Policy: उत्तर प्रदेश की नई आबकारी नीति से शराब बाजार में बड़ा बदलाव, बढ़ेगा राजस्व और रेस्तरां मालिकों को मिलेगी राहत

UP Excise Policy: उत्तर प्रदेश की नई आबकारी नीति से शराब बाजार में बड़ा बदलाव, बढ़ेगा राजस्व और रेस्तरां मालिकों को मिलेगी राहत

रिपोर्ट: अमर सैनी

उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति लागू कर दी है, जिससे राज्य में शराब बिक्री की पूरी व्यवस्था में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य राजस्व में बढ़ोतरी के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सुविधाजनक और पारदर्शी व्यवस्था प्रदान करना है। साथ ही, रेस्तरां और होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी बड़ी राहत मिलने जा रही है।

नई आबकारी नीति के तहत अब देसी और विदेशी शराब की दुकानों को एकीकृत कर ‘कंपोजिट शॉप’ के रूप में संचालित किया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि उपभोक्ता अब एक ही दुकान पर देसी शराब, विदेशी शराब और बीयर तीनों विकल्प पा सकेंगे। इस बदलाव से दुकानों की संख्या में कोई इजाफा नहीं होगा, लेकिन खुदरा बिक्री की सघनता बढ़ेगी और ग्राहक अनुभव में सुधार आएगा।

गौतम बुद्ध नगर में इस नीति के लागू होने के बाद कुल 501 नए लाइसेंस जारी किए गए हैं, जिनमें से 234 दुकानें देसी शराब की हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से न केवल पारदर्शिता में वृद्धि होगी, बल्कि राज्य के कुल आबकारी राजस्व में 25 से 30 प्रतिशत तक का इजाफा संभव है।

सरकार ने बड़े शहरों—जैसे नोएडा, गाजियाबाद, आगरा और लखनऊ—में कम-अल्कोहल बार खोलने की अनुमति भी दी है। इन बारों में केवल बीयर और वाइन परोसी जा सकेंगी, जिससे रेस्तरां मालिकों को पूर्ण बार लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। यह लाइसेंस कम लागत पर उपलब्ध होगा, जिससे व्यवसायियों को लाइसेंस शुल्क और संचालन लागत दोनों में राहत मिलेगी।

जिला आबकारी अधिकारी के अनुसार यह सुविधा कैफे, बिस्ट्रो और फाइन डाइनिंग रेस्तरां के लिए लागू होगी। इससे उन्हें ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने का अवसर मिलेगा, वहीं उपभोक्ताओं के लिए भी यह एक नया अनुभव साबित होगा। खास बात यह है कि इस बदलाव से छोटे और मझोले उद्यमियों को नए व्यापारिक अवसर मिलेंगे, जिससे स्थानीय रोजगार और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

नई नीति को उद्योग विशेषज्ञों और व्यापारियों ने स्वागत योग्य कदम बताया है। उनका मानना है कि इससे राज्य की आर्थिक गतिविधियों को नई गति मिलेगी और शराब बिक्री प्रणाली पहले से अधिक व्यवस्थित और आधुनिक होगी। अब यह देखना होगा कि आगामी महीनों में यह नई व्यवस्था जमीनी स्तर पर किस हद तक सफल होती है और राज्य सरकार अपने लक्षित राजस्व में कितनी बढ़ोतरी हासिल कर पाती है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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