उत्तर प्रदेश, नोएडा: मुख्य सचिव मनोज सिंह के समक्ष रखींं उद्योगों की समस्याएं
उत्तर प्रदेश, नोएडा: मुख्य सचिव मनोज सिंह के समक्ष रखींं उद्योगों की समस्याएं

अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, नोएडा। जिले में औद्योगिक विकास और उद्यमियों की चुनौतियों पर आधारित एक बैठक मुख्य सचिव प्रदेश सरकार मनोज कुमार सिंह ने एनईए सभागार में उद्यमी संगठन एनईए के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें पुलिस आयुक्त गौतमबुद्ध नगर लक्ष्मी सिंह भी मौजूद रहीं।
एनईए के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा कि नोएडा में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में अगर एक प्रतिशत की भी शेयर होल्डिंग बदलनी हो तो नोएडा विकास प्राधिकरण और स्टांप विभाग चार्ज वसूलता है, जिसे खत्म किया जाना चाहिए। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को एलएलपी में बदलने पर भी कंपनी का नाम वहीं रहता है, डायरेक्टर वहीं रहते हैं, इसके बाद भी स्टांप विभाग रजिस्ट्री चार्ज वसूलता है। इस प्रक्रिया में रजिस्ट्री की अनिवार्यता को खत्म कर केवल डिक्लियरेशन डीड लागू करने की मांग की। उद्योगों में कामर्शियल गतिविधि चलाने पर धारा 10बी के तहत जारी नोटिस 2021 के पूर्व शपथ पत्र देने पर वापस ले लिया जाता था, लेकिन अब प्राधिकरण ऐसे प्रकरणों में कमेटी गठित कर एक प्रतिशत चार्ज जमा कराने व इकाई जाकर सर्वे का काम भी जोड़ दिया है।
यह गलत है। इसके लिए पूर्व की व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा सबसे महत्पवूर्ण पहलू रक्त संबंधी मामलों में परिवार की आवासीय संपत्ति के बंटवारे में स्टांप ड्यूटी शुल्क 5000 रुपये की भांति इस व्यवस्था को औद्योगिक भूखंडों व मामलों के बंटवारे में भी लागू करने की मांग रखी गई। बैठक एनईए के अध्यक्ष विपिन मल्हन, महासचिव वीके सेठ, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरीश जोनेजा, राकेश कोहली, मुकेश कक्कड, धर्मवीर शर्मा, कोषाध्यक्ष एससी जैन, सह कोषाध्यक्ष संदीप विरमानी, उपाध्यक्ष मोहन सिंह, आरएम जिंदल, सचिव आलोक गुप्ता आदि मौजूद रहे।
प्राधिकरण द्वारा आवंटित जमीन पर प्रशासन भेज रहा नोटिस :
उद्यमियों ने नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा लीज पर सेक्टर-65 तथा सेक्टर-67 के उद्यमियों को करीब 23 वर्ष पूर्व भूमि आवंटित की गई थी। इसकी उद्यमियों द्वारा सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद करोड़ो रुपये खर्च कर वहां उत्पादन शुरू कर दिया। वर्ष 2015 में सेक्टर-65 तथा सेक्टर-67 के कई उद्यमियों को तहसीलदार दादरी द्वारा इस भूमि को पशुचर अंकित दर्शा कर आवंटित भूमि से बेदखल कर करोड़ो रूपये जमा करने, रिकवरी तथा इकाई सील करने के नोटिस दिए गए। हालांकि तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी से शिकायत के बाद इस कार्रवाई को रोक दी गई। अब पुनः तहसील दादरी द्वारा नोटिस दिये जा रहे हैं ।
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