Bhaskar Rao Rokade: विचारक भास्कर राव रोकड़े का सवाल, अगर 49 साल पहले संविधान की हत्या हुई थी तो आज देश कैसे चल रहा?

विचारक भास्कर राव रोकड़े का सवाल, अगर 49 साल पहले संविधान की हत्या हुई थी तो आज देश कैसे चल रहा?
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
देश में इमरजेंसी लागू हुए 49 वर्ष हो गए हैं. 25 और 26 जून 1975 की मध्य रात्रि में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर करने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हो गया था. इसको लेकर हमेशा से इंदिरा गांधी की आलोचना होती रही है. मोदी सरकार ने इसी महीने अधिसूचना जारी कर 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर दी. हालांकि इसके बाद से देश के अलग-अलग हिस्सों में बीजेपी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं. विपक्ष हमलावर हो गया है. इलाहबाद हाईकोर्ट ने इसअधिसूचना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा है. इस बीच जाने माने विचारक और लेखक भास्कर राव रोकड़े ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किए जाने पर आपत्ति जताई है.
मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस शुरू हुई नव क्रांति लाने के संकल्प के साथ भास्कर राव रोकड़े ने 45 दिवसीय प्रदेशव्यापी सम्यक यात्रा शुरू की थी. गुरुवार को उन्होंने नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कांफ्रेंस की और पीएम को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित करने के फैसले को बदला जाए. भास्कर राव रोकड़े ने बताया कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया गया था, उस समय भी संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकाल के बारे में लिखा गया है. उस वक्त भी हमारे देश में संविधान की हत्या नहीं की गई थी. हां उस दौर में यह गलत हुआ था कि विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. इसके लिए हम 25 जून को संविधान हत्या दिवस नाम न देकर कुछ और भी कर सकते हैं. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए था.