
नई दिल्ली, 21 मई: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने मंगलवार को कहा कि फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग न करें। अन्यथा एफएसएस अधिनियम, 2006 के तहत सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, वैज्ञानिक जांच में सामने आया है कि इस पदार्थ के इस्तेमाल से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं जिनमें मुंह के छाले, गैस्ट्रिक समस्याएं तथा कैंसर जैसी घातक बीमारी शामिल हैं। इसलिए फल पकाने की प्रक्रिया में कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर प्रतिबंध जारी रखने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही एफएसएसएआई ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गैर-अनुमत फलों को पकाने वाले एजेंटों और फलों को रंगने और कोटिंग करने के लिए सिंथेटिक रंगों या गैर-अनुमत मोम के उपयोग पर रोक लगाने के लिए निरीक्षण तेज करने और विशेष प्रवर्तन अभियान चलाने का आग्रह किया है।
इस संबंध में खाद्य सुरक्षा आयुक्तों और एफएसएसएआई के क्षेत्रीय निदेशकों से अनुरोध किया गया है कि वे फलों के बाजारों और मंडियों पर कड़ी निगरानी रखें, ताकि कैल्शियम कार्बाइड जैसे एजेंटों का उपयोग करके फलों को पकाने के अवैध प्रयोग को रोका जा सके, जिसे आमतौर पर ‘मसाला’ के रूप में जाना जाता है। साथ ही ऐसे फलों के गोदामों और भंडारण सुविधाओं पर छापा मारने के लिए कहा गया है जहां फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड जैसे पदार्थों का इस्तेमाल करने का संदेह है।
वहीं, परिसर में या फलों के टोकरे के साथ संग्रहीत कैल्शियम कार्बाइड की मौजूदगी को खाद्य व्यवसाय संचालक (एफबीओ) के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य माना जाएगा, जिससे खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) अधिनियम 2006 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। उधर, एफएसएसएआई ने ऐसे मामलों की भी पहचान की है, जहां एफबीओ केले और अन्य फलों को सीधे रसायन में डुबोकर कृत्रिम रूप से पकाने के लिए एथेफॉन के घोल का उपयोग कर रहे हैं।
इस संदर्भ में, प्राधिकरण ने फलों को कृत्रिम रूप से पकाना – एथिलीन गैस: एक सुरक्षित फल पकाने वाला, शीर्षक से एक मार्गदर्शन दस्तावेज या एसओपी जारी किया है। यानि खाद्य व्यवसाय संचालकों से सुरक्षित और अनुपालन योग्य फल पकाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए इन एसओपी का पालन करने का आग्रह किया गया है। एफएसएसएआई के मुताबिक इस कवायद का उद्देश्य जनता के लिए खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है ताकि सुरक्षित और कानूनी रूप से अनुपालन योग्य फल ही बाजार तक पहुंच सकें।