भारत

सर्वाइकल कैंसर परीक्षण के दाम होंगे कम, एम्स सहित 4 लैब करेंगी तकनीकी स्टडी

- फ्रांस से एचपीवी पॉजिटिव के 1200 नमूने पहुंचे भारत, 300 की दर से 4 लैब में होगी स्टडी

नई दिल्ली, 12 अप्रैल (टॉप स्टोरी न्यूज नेटवर्क): सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है जो समय पर इलाज न मिलने पर पीड़ित महिला की जान तक ले लेता है। इस जानलेवा बीमारी के पीछे ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के संक्रमण पाए जाते हैं। सर्वाइकल कैंसर का सफल इलाज तभी संभव है जब शुरुआती दौर में ही एचपीवी संक्रमण होने की जानकारी मिल जाए लेकिन एचपीवी के लैब परीक्षण महंगे होने के चलते अधिकांश लोग जांच नहीं कराते। नतीजतन हर साल 79,906 महिलाओं की असमय मौत हो जाती है।

एम्स की प्रोफेसर और महिला कैंसर विशेषज्ञ डॉ नीरजा भाटला ने कहा वर्तमान में, एचपीवी परीक्षण विदेशी मशीनों और विदेशी तकनीक से संपन्न होने के चलते महंगे पड़ते हैं, इसलिए हमने स्वदेशी मशीनों से एचपीवी परीक्षण करने का फैसला किया है। इसके लिए एम्स दिल्ली के साथ आईसीएमआर दिल्ली, एनआईसीपीआर नोएडा, एनआईआरआरसीएच मुंबई में विशेष लैब स्थापित की गई है। इन लैब में फ्रांस से मंगाए गए 1200 पॉजिटिव नमूने (एचपीवी) 300 प्रत्येक के हिसाब से भेजे गए हैं। नमूनों की जांच विदेशी व स्वदेशी मशीनों और स्वदेशी तकनीकों से की जाएगी।

डॉ भाटला ने कहा, अध्ययन के दौरान एचपीवी परीक्षण के लिए स्वदेशी मानक बनाए जाएंगे। परीक्षण तकनीकों को सरल बनाया जाएगा जो उच्च प्रशिक्षित मैनपॉवर की अनिवार्यता में बदलाव लाएंगी। यानी स्वदेशी के इस्तेमाल से परीक्षण की लागत में कमी लाई जा सकेगी और लैब टेस्ट लोगों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराया जा सकेगा। अध्ययन के परिणाम अगले दो महीने के अंदर सामने आने की उम्मीद है। इसके अलावा भारतीय आबादी में प्रमुख कैंसर पैदा करने वाले एचपीवी जीनोटाइप का भी पता लगाया जा सकेगा।

एनआईसीपीआर नोएडा की निदेशक डॉ शालिनी सिंह ने कहा प्रत्येक एचपीवी कैंसर नहीं होता है। इसके करीब 100 वायरस मौजूद हैं लेकिन उनमें से सिर्फ 14 घातक हैं। स्टडी के दौरान इन सभी पर गहन शोध किया जाएगा। वहीं डॉ शौकत हुसैन ने कहा, स्टडी में अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय एचपीवी परीक्षणों (तीन स्वदेशी कंपनियों द्वारा विकसित तकनीक) को भी शामिल किया जाएगा।

35 वर्ष और 45 वर्ष की उम्र में स्क्रीनिंग जरुरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने साल 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। डब्ल्यूएचओ 9 से 15 वर्ष आयु की 90 फीसद लड़कियों को एचपीवी टीके की पूरी खुराक देने और 30 वर्ष से अधिक आयु की 70 फीसद महिलाओं की दो बार (35 वर्ष और 45 वर्ष की उम्र में) पूरी तरह स्क्रीनिंग करने की सलाह दी है।

एम्स में लैब का उद्घाटन
एचपीवी परीक्षण और स्टडी के लिए एम्स दिल्ली के चतुर्थ तल पर विशेष लैब स्थापित की गई है जिसका उद्घाटन एम्स निदेशक डॉ. श्रीनिवास ने किया। इस अवसर पर आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ जेएस तितियाल, आईआरसीएच प्रमुख प्रोफेसर सुषमा भटनागर, डॉ प्रणय तंवर और डॉ पल्लवी शुक्ला आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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