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साथी हाथ बढ़ाना…..

साथी हाथ बढ़ाना…..

957 में एक फ़िल्म आयी थी नया दौर और इस फ़िल्म का साहिर द्वारा रचित एक गाना बहुत मशहूर हुआ था “ साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगा मिलकर बोझ उठाना”।

आज जब 2024 लोकतंत्र के महापर्व के प्रचार का शोर थम जाएगा तो ना जाने क्यूँ इस गाने के बोल मन में स्वतः स्फुरित हो रहे हैं।

जी , आज ये शब्द मोदीजी के संदर्भ में स्मरण हो आयें हैं। जो भी आशा और आशंकाओं के मध्य चारों और से संकेत मिल रहे हैं उसके अनुसार मोदी जी चार जून के बाद सत्ता के सिंहासन पर पुनः तीसरी बार अवश्य प्रधान सेवक के रूप में विराजमान होने जा रहें हैं।

कोई बुरा माने या भला मैं यह कहने में बिल्कुल गुरेज़ नहीं करूँगा की एनडीए गठबंधन की 543 सीटों पर चुनाव मोदी जी के चेहरे और नाम पर ही लड़ा गया है। नेता का नाम होना या उसके नाम पर चुनाव लड़ना कोई बुरी बात नहीं होता लेकिन हर प्रत्याशी का नेपथ्य में चले जाना किसी भी पार्टी के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं होता है।

इसमें कोई शक नहीं कि मोदीजी ने अपनी मेहनत और लगन से राष्ट्र के लिए ऐसे ऐसे काम किये हैं की वह देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बन गए हैं, उनकी जनता में दीवानगी अद्भुत है। यह लोकप्रियता उन्होंने अर्जित की है , लोगों ने उपहार में नहीं दी बल्कि विपक्ष ने तो लगातार उनपर लगातार झूठे सच्चे आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को गिराने का ही प्रयास किया।

चुनाव घोषित होने के उपरांत मोदीजी ने प्रतिदिन हज़ारों किलोमीटर का सफ़र तय कर एनडीए के प्रत्याशियों के लिए सैंकड़ों रैलियाँ और रोड शो कर अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने का काम किया है।

अब जब चुनाव प्रचार का शोर पूरी तरह थम गया है तब यह अत्यावश्यक है की चुनाव के दौरान क्या क्या हुआ उसकी समीक्षा की जाए , आगे के लिए कमियाँ दूर करने की रणनीति पर विचार किया जाये और आगे की अनवरत जीत के लिए तीसरी पारी के कार्य तुरंत प्रारंभ किए जाएँ।

हमें ध्यान रखना चाहिए कि तिहत्तर वर्ष की आयु में भी इस चुनाव में मोदी जी ने किसी भी नवयुवक से ज़्यादा मेहनत कर एनडीए की विजय सुनिश्चित की है लेकिन अगले 2029 के चुनाव तक उनकी आयु अठहत्तर वर्ष हो जाएगी और इनसे ऐसी ही मेहनत कराई गई तो वह गाना सत्य हो जाएगा की साथी हाथ बढ़ाना , एक अकेला थक जाएगा मिलकर बोझ उठाना।

एनडीए को अब 543 मोदी चाहिए, मतलब मोदीजी की तरह निःस्वार्थ लगन से राष्ट्र के लिए मेहनत करने वाले साथी चाहिए।
अधिकतर देखा गया है कि एक बार चुने जाने के बाद पाँच साल तक सांसद अपने लोगों से संपर्क नहीं करते हैं, सरकार द्वारा किए गए कार्यों का प्रसार प्रचार नहीं करते, जनता के कार्य नहीं करते और चुनाव के समय जुगाड़ कर टिकट पाने में सफल हो जाते हैं और जनता ऐसे लोगों को सबक़ सिखाने का मन बना लेती है, कई जगह मोदीजी का चेहरा काम कर जाता है और कई जगह मोदी जी चेहरे के बावजूद भी कठिनाई आती है। इस बार मोदी जी को ऐसा सिस्टम ईजाद करना चाहिए जहां हर विजयी प्रतिनिधि को प्रत्येक सप्ताह अपने इलाक़े में किए कार्य और जनसंपर्क का ब्योरा देना चाहिए।जो संतोषजनक कार्य नहीं कर रहे उनसे पाँच साल का इंतज़ार किए बिना सवाल जवाब किया जाना चाहिए। सांसद को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। देखा गया है जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद जनता को मिलने से भी गुरेज़ करते है। इसे बदलना होगा। यह मैं कई इलाक़ों में सर्वे के बाद अपना अनुभव बता रहा हूँ।

ग़ज़वाये हिन्द , इस्लामिस्ट स्टेट सिर्फ़ एक नारा ही नहीं एक ख़्वाबी हक़ीक़त है जिसे इंडी गठबंधन के कई साथी तुष्टिकरण के हथियार से सफल करने में लगे हैं और यह सब सिर्फ़ और सिर्फ़ सत्ता की भूख शांत करने का क्रूरतम तरीक़ा है जब आप भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वालों का सहयोग लेकर उनके सामने घुटने टेक देते हो।

किसी भी राष्ट्र को विकसित, प्रगतिशील और तरक़्क़ी प्राप्त करने के लिए शांत वातावरण की आवश्यकता होती है और आजका विपक्ष विदेशी शक्तियों के इशारे पर भारत में लगातार अराजकता फैलाने का प्रयास करता है जिससे हमारी तरक़्क़ी और विकसित राष्ट्र की परिकल्पना पटरी से उतरती है या देरी लगती है।

मोदी जी अपने तीसरे टर्म में लोकतंत्र ख़तरे में है के छद्म नारों की परवाह किए बिना कुछ ऐसे बिल लाइए की देश विरोधी कार्य करने वालों को मृत्यु तक उम्र क़ैद हो, उनकी सारी संपत्ति ज़ब्त हो, समान नागरिकता संहिता क़ानून जल्द से जल्द लायें, जनसंख्या नियंत्रण क़ानून की भी बहुत आवश्यकता है वरना एक निर्धारित नीति के तहत एक वर्ग अपनी आबादी लगातार बढ़ाकर एक दिन आजके बहुसंख्यक समुदाय को अल्पसंख्यक बनाकर अपना एजेंडा चलायेंगे और फिर सनातन पर भी बड़ा ख़तरा आ जाएगा।

मोदी जी यदि आप अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विकसित भारत के स्वप्न को साकार होते देखना चाहते हैं तो अपने तीसरे टर्म में यह कार्य अवश्य करें वरना यह विपक्ष गिद्ध की भाँति भारत राष्ट्र को नोच खाने को तैयार बैठा है।

राकेश शर्मा

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