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RML Hospital Delhi: आरएमएल अस्पताल में शुरू हुआ विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, डॉक्टरों की सॉफ्ट स्किल्स और संवेदनशीलता पर फोकस

RML Hospital Delhi: आरएमएल अस्पताल में शुरू हुआ विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, डॉक्टरों की सॉफ्ट स्किल्स और संवेदनशीलता पर फोकस

नई दिल्ली, 03 नवम्बर: दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अब रेजिडेंट डॉक्टर सिर्फ मरीजों के इलाज में ही नहीं, बल्कि उनके परिजनों से संवेदनशील व्यवहार में भी निखार लाएंगे। इलाज के दौरान किसी अनहोनी की स्थिति में मरीज के परिजनों को बुरी खबर देना हमेशा डॉक्टरों के लिए एक कठिन चुनौती रही है। अब आरएमएल अस्पताल ने इस दिशा में एक पहल की है, जिसके तहत डॉक्टरों को कम्युनिकेशन स्किल्स, इमोशनल इंटेलिजेंस और कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट जैसी सॉफ्ट स्किल्स में प्रशिक्षित किया जा रहा है।

संवेदनशील संवाद की दिशा में अहम कदम

अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान से संबद्ध आरएमएल अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग ने अगस्त से अक्तूबर के बीच एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया, जिसमें 12 विभागों के 325 रेजिडेंट डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया गया। यह प्रशिक्षण इस बात पर केंद्रित था कि —

मरीज की मौत जैसी संवेदनशील खबर परिवार को कैसे दी जाए,

ऐसे क्षणों में अपने व्यवहार और भावनाओं को कैसे नियंत्रित रखा जाए,

और शोक की घड़ी में तीमारदारों के साथ मानवीय व्यवहार कैसे किया जाए।

डॉक्टर–रोगी विवादों में आएगी कमी
अस्पताल प्रशासन का मानना है कि इस पहल से रोगी–डॉक्टर विवादों में कमी आएगी। साथ ही, यह प्रशिक्षण उन जूनियर और सीनियर रेजिडेंट्स को संवेदनशील बनाएगा, जो अकसर लंबी ड्यूटी और मानसिक दबाव के कारण मरीजों के परिजनों से कठोर लहजे में पेश आते हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत रेजिडेंट्स को रोल प्ले, ऑडियो–विजुअल लर्निंग एड्स और रियल केस स्टडीज के माध्यम से व्यवहारिक स्थितियों से निपटने का अभ्यास कराया गया।

इमरजेंसी विभाग के डॉक्टर भी होंगे शामिल
मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पुलिन गुप्ता ने बताया कि यह प्रोग्राम अब पूरे अस्पताल में लागू किया जाएगा। आने वाले समय में इसे एक्सीडेंट और इमरजेंसी सर्विसेज जैसे दबाव वाले विभागों में भी लागू किया जाएगा, जहां डॉक्टरों को रोजाना तनावपूर्ण स्थितियों से गुजरना पड़ता है। उन्होंने बताया कि सभी रेजिडेंट्स को हर महीने बूस्टर इंटेंसिव ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि उनका व्यवहारिक कौशल लगातार बेहतर होता रहे।

मानसिक स्वास्थ्य और संवेदनशीलता पर फोकस
अस्पताल के निदेशक डॉ. अशोक कुमार और मनोचिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. मीना चंद्र ने कहा कि यह कार्यक्रम डॉक्टरों को न केवल संवाद कौशल में दक्ष बनाएगा बल्कि उनके स्ट्रेस मैनेजमेंट और इमोशनल बैलेंस को भी बेहतर करेगा। इससे डॉक्टर कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और सहानुभूति के साथ पेश आ सकेंगे।

प्रशिक्षण का तरीका और मूल्यांकन
प्रत्येक सत्र दो घंटे का होता है, जिसमें प्री और पोस्ट असेसमेंट टेस्ट के माध्यम से प्रतिभागियों के व्यवहार में आए बदलाव का आकलन किया जाता है।
हाइब्रिड मॉडल पर आधारित इस प्रशिक्षण में ऑफलाइन सत्रों के साथ ऑनलाइन मॉड्यूल भी शामिल हैं। इसका मकसद डॉक्टरों में संवेदनशीलता, धैर्य और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार को बढ़ाना है।
यह पहल अस्पतालों में बढ़ती शिकायतों और गलतफहमियों के बीच एक सकारात्मक संदेश देती है। आरएमएल प्रशासन का कहना है कि डॉक्टरों में संवेदनशीलता और संवाद क्षमता के सुधार से मरीजों और उनके परिजनों का भरोसा और गहरा होगा।

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