
नई दिल्ली, 19 सितम्बर : भारतीय सेना ने वीरवार इस 19 सितंबर को दिवंगत सेना प्रमुख (सीओएएस) को श्रद्धांजलि देने के लिए पुणे में जनरल एसएफ रोड्रिग्स मेमोरियल सेमिनार के दूसरे संस्करण का आयोजन किया।
‘राष्ट्रीय सुरक्षा @2047’ विषय पर आधारित सेमिनार के पहले सत्र में ‘भारत की रक्षा स्थिति का लेखा-जोखा’ और दूसरे सत्र में ‘आर्मिट काल-आगे की राह (क्षमता निर्माण पर ब्लूप्रिंट)’ पर फायरसाइड चैट सत्रों के रूप में महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया।जिसे दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने प्रमुख रूप से संबोधित किया। उन्होंने स्वर्गीय रोड्रिग्स द्वारा भारतीय सेना के आधुनिकीकरण, शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिलाओं को शामिल करने और सैन्य कूटनीति को रेखांकित करने का उल्लेख किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा, राष्ट्रीय हितों और वैश्विक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाते हुए, भारत सत्ता के खेल और प्रतिकूल प्रतिस्पर्धा के बीच तालमेल बिठा रहा है। भारत ने उच्च रक्षा प्रबंधन और अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बड़े सुधार किए हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने कहा कि थिएटराइजेशन एक आसन्न वास्तविकता है और जल्द ही इसके साकार होने की संभावना है। स्पेस और साइबर कमांड जैसे नए संगठन सही दिशा में उठाए गए कदम हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में सेना को वर्तमान एकल-सेवा, एकल-डोमेन फोकस से परे एक समावेशी, बहु-डोमेन, बहुआयामी बल के रूप में विकसित होना चाहिए। आर्थिक रूप से, हम 2047 तक विकसित भारत के लिए आत्मनिर्भरता की यात्रा पर निकल पड़े हैं। भविष्य की प्रौद्योगिकियों, अनुसंधान और विकास में निवेश करना महत्वपूर्ण है, खासकर इंडो-पैसिफिक ढांचे के भीतर। ताकि भारत एक स्थिर, सुरक्षित, परिपक्व और समावेशी वैकल्पिक शक्ति के रूप में उभर सके।