One Nation One Election बिल: जानें इससे क्या बदलेगा और कैसे लागू होगा पूरा प्रोसेस
One Nation One Election बिल पेश, जानें क्या होगा बदलाव, कैसे लागू होगी प्रक्रिया और इसके प्रभाव। कोविंद समिति की सिफारिशें और संविधान संशोधन पर पूरा विवरण।
One Nation One Election Process: केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश करने के बाद यह बहस का मुद्दा बन गया है। संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 को पेश करते ही लोकसभा में भारी हंगामा हुआ। विपक्ष ने इसे संविधान पर हमला बताते हुए लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। लेकिन आखिर वन नेशन, वन इलेक्शन बिल क्या है, कैसे लागू होगा और इसका देश पर क्या असर पड़ेगा? आइए समझते हैं पूरा प्रोसेस।
One Nation One Election क्या है?
‘One Nation One Election का मतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। यह चुनाव दो चरणों में होंगे:
- पहला चरण: लोकसभा और विधानसभा चुनाव।
- दूसरा चरण: स्थानीय निकायों (नगर पालिका और पंचायत) के चुनाव।
सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र का इस्तेमाल होगा।
कैसे लागू होगा One Nation One Election ?
- संविधान संशोधन:
- पहला संशोधन: संविधान में अनुच्छेद 82A जोड़ा जाएगा, जो लोकसभा और विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया को एक साथ करने की नींव रखेगा।
- दूसरा संशोधन: अनुच्छेद 324A जोड़ा जाएगा, जो नगर पालिका और पंचायत चुनावों को लोकसभा के साथ कराने की अनुमति देगा।
- दो चरणों का कार्यान्वयन:
- पहला चरण 2029 के लोकसभा चुनावों के बाद लागू होगा।
- इसके बाद राज्यों के चुनाव भी 2029 तक लोकसभा चुनाव के साथ होंगे।
- कार्यकाल का समायोजन:
- 2024 और 2028 के बीच होने वाले राज्यों के चुनावों का कार्यकाल घटकर 2029 तक सीमित हो जाएगा।
- उदाहरण के लिए, 2025 में होने वाले चुनावों में सरकार का कार्यकाल केवल 4 साल होगा।
- अधूरी अवधि का कार्यकाल:
यदि किसी राज्य विधानसभा या लोकसभा को समय से पहले भंग किया जाता है, तो मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे, लेकिन नई सरकार का कार्यकाल केवल शेष अवधि तक ही रहेगा।
One Nation One Election: कोविंद समिति की सिफारिशें
- ‘नियत तिथि’ की घोषणा: लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति द्वारा एक तिथि तय की जाएगी, जिस पर सभी चुनाव एक साथ होंगे।
- संविधान में 18 संशोधन: इनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
- संसद की शक्ति: लोकसभा और विधानसभा चुनाव से जुड़े कानून बनाने का अधिकार केवल संसद के पास रहेगा।
- स्थानीय निकाय चुनाव: इसके लिए आधे राज्यों की मंजूरी अनिवार्य होगी।
One Nation One Election: बदलाव के संभावित फायदे और चुनौतियां
संभावित फायदे:
- चुनाव खर्च में कमी: बार-बार चुनाव कराने पर होने वाला खर्च बचेगा।
- सरकारी कामकाज में सुधार: लगातार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य रुक जाते हैं। एक साथ चुनाव से ये समस्या दूर होगी।
- मतदाता जागरूकता: एक साथ चुनाव से ज्यादा मतदाता जागरूक होकर मतदान करेंगे।
संभावित चुनौतियां:
- संघीय ढांचे पर असर: राज्य सरकारों के कार्यकाल को सीमित करना संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ माना जा रहा है।
- कानूनी अड़चनें: संविधान में कई बड़े संशोधन करने की जरूरत होगी, जिसमें कानूनी चुनौतियां सामने आ सकती हैं।
- राज्यों की असहमति: स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्यों की मंजूरी जरूरी होगी, जो विवाद की वजह बन सकता है।
One Nation One Election: निष्कर्ष
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए संविधान में बड़े संशोधन और व्यापक सहमति की जरूरत है। हालांकि इससे चुनावी खर्च और प्रशासनिक रुकावटें कम होंगी, लेकिन राज्यों के कार्यकाल पर इसका असर संघीय ढांचे के लिए चुनौती बन सकता है। कोविंद समिति की सिफारिशों और विधि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही इस बिल पर ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।
Read More: Noida: नोएडा में यदु पब्लिक स्कूल में वार्षिक दिवस समारोह, ‘अतुल्य भारत’ थीम पर विशेष आयोजन