Noida Fraud Case: सीईओ से 15 लाख लेकर फर्जी बैंक गारंटी थमाई, सीए समेत टीम पर धोखाधड़ी का आरोप

Noida Fraud Case: सीईओ से 15 लाख लेकर फर्जी बैंक गारंटी थमाई, सीए समेत टीम पर धोखाधड़ी का आरोप
रेलवे प्रोजेक्ट के नाम पर फर्जी बैंक गारंटी बनवाकर करीब 15 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। इस गंभीर धोखाधड़ी में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) और उसकी टीम पर आरोप लगा है। बीटा-2 कोतवाली पुलिस ने अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बैंक गारंटी के नाम पर हेराफेरी
शिकायतकर्ता प्रवीन कुमार, जो टैंगेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के सीईओ हैं, सेक्टर चाई-4 स्थित एटीएस ग्रीन पैराडिसो अपार्टमेंट में रहते हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी रेलवे के कई प्रोजेक्ट्स पर ठेके के तहत काम करती है।
प्रवीन के मुताबिक, एक प्रोजेक्ट के लिए बैंक गारंटी की आवश्यकता थी, जिसके लिए उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक सेक्टर-18 के अपने रिलेशनशिप मैनेजर फुरकान से संपर्क किया। फुरकान ने उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंट ब्रजेश पांडेय से मिलवाया, जिसके बारे में दावा किया गया कि उसके कई बैंकों और कंपनियों में गहरे संपर्क हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा की फर्जी गारंटी
आरोप है कि ब्रजेश पांडेय और उसकी कंपनी सीएमसी सर्विसेज आईएमएस प्राइवेट लिमिटेड, सेक्टर-62 नोएडा, ने बैंक ऑफ बड़ौदा, बिजासन शाखा (मध्य प्रदेश) से ₹1.29 करोड़ की बैंक गारंटी जारी करने का दावा किया। इसके बदले में उन्होंने ₹15.34 लाख रुपये “वित्तीय परामर्श” शुल्क के रूप में प्रवीन के खाते से ले लिए।
हालांकि, जब रेलवे विभाग ने प्रोजेक्ट में देरी को लेकर पत्र भेजा, तब प्रवीन ने बैंक से सत्यापन कराया। बैंक ने जवाब दिया कि ऐसी कोई बैंक गारंटी उनके द्वारा जारी नहीं की गई, जिससे धोखाधड़ी का खुलासा हो गया।
आरोपी लापता, जांच शुरू
धोखाधड़ी का पता चलने पर प्रवीन कुमार ने ब्रजेश पांडेय और उसकी टीम से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने बात नहीं की। इसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत अदालत में दर्ज कराई।
कोतवाली प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस टीम आरोपी सीए और उसकी कंपनी के अन्य सहयोगियों की तलाश में जुटी है। यह मामला दिखाता है कि कैसे फर्जी वित्तीय परामर्शदाता कंपनियों और ठेकेदारों को निशाना बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी बैंक गारंटी या वित्तीय दस्तावेज को स्वीकार करने से पहले संबंधित बैंक से सीधा सत्यापन करना जरूरी है।





