अमर सैनी
नोएडा। नोएडा प्राधिकरण ने शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित बोर्ड बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए शहर की विभिन्न श्रेणियों की संपत्तियों की आवंटन दरों में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। हालांकि, व्यावसायिक संपत्तियों को इस वृद्धि से बाहर रखा गया है।
प्रदेश के मुख्य सचिव एवं नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आवासीय, औद्योगिक, ग्रुप हाउसिंग और संस्थागत संपत्तियों की दरों में यह वृद्धि की गई। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम ने बताया, “आवासीय भूखंडों की श्रेणी ए, बी और सी में लगभग 17,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में 50 भूखंड अभी भी खाली हैं। नई दरों के लागू होने के बाद इन भूखंडों को बेचा जाएगा। “औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियों के लिए शहर को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। इन तीनों श्रेणियों के साथ-साथ आई-आईटीईएस और डाटा सेंटर उपयोग की संपत्तियों की दरों में भी 6 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
ग्रुप हाउसिंग के लिए, श्रेणी ए में दरें 1,72,680 रुपये से बढ़ाकर 1,83,040 रुपये प्रति वर्ग मीटर और श्रेणी बी में 1,15,130 रुपये से बढ़ाकर 1,22,040 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दी गई हैं। विशेष रूप से, श्रमिक कुंज और ईडब्लूएस आवासीय भवनों की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसी तरह, व्यावसायिक संपत्तियों की दरें भी यथावत रखी गई हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में इन संपत्तियों के खरीदारों की संख्या में कमी आई है।
अमिताभ कांत समिति की सिफ़ारिशों का 27 बिल्डरों ने लाभ उठाया
बैठक में अमिताभ कांत की सिफारिशों पर भी चर्चा हुई। प्राधिकरण ने बताया कि नोएडा में 57 बिल्डर परियोजनाओं में से 27 ने इन सिफारिशों का लाभ उठाया है, जो कुल डेवलपर्स का 47 प्रतिशत है। इनमें से 22 बिल्डरों ने 25 प्रतिशत धनराशि, यानी 276.76 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। अगले एक साल में शेष 75 प्रतिशत राशि, लगभग 830 करोड़ रुपये, प्राधिकरण को प्राप्त होने की उम्मीद है। इस पहल से लगभग 3,000 होम बायर्स की रजिस्ट्री संभव हो सकेगी। वर्तमान में, 1,075 बायर्स की रजिस्ट्री पूरी हो चुकी है।नोएडा प्राधिकरण के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह निर्णय शहर के विकास और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में नया जोश आएगा और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।” यह कदम नोएडा के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जिससे न केवल प्राधिकरण को राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि शहर के समग्र विकास को भी गति मिलेगी।